20 जुल॰ 2008

श्रीयुत काशीनाथ नाथ अमलाथे कृत नर्मदाष्टक विवेचन....!

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संस्कार धानी के वयोवृद्ध श्रीयुत काशीनाथ अमलाथे की कृति नर्मदाष्टक विवेचन एवं गोत्र ऋषि परिचय का लोकार्पण स्वामी सत्य मित्रानंद गिरी जी ने किया

2 टिप्‍पणियां:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!