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13 अग॰ 2008

गेंदा राम जी को श्रृद्धांजलि


ब्लॉगर भाइयो
स्वतन्त्रता दिवस पर मेरी हार्दिक बधाइयां स्वीकारिए !
दीगर एहवाल जे है कि गेंदा राम जी में राम नहीं रहे चका जाम करने वाले भैया लोग समझ रहें है वो गेंदा थे जो नहीं रहे।देश में अम्बाला जबलपुर भोपाल कुल मिला कर आम जीवन यदि प्रभावित हुआ तो उसके लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं जिम्मेदार है तो हमारी सोच यदि हम स्वतंत्र हैं तो अपनी स्वतन्त्रता के लिए दूसरे की स्वतन्त्रता के लिए बाधा न बनें । मुझे इस बात पे टिप्पणी नहीं करनीं कि आन्दोलन सही या ग़लत है
किसीने खूब कहा "सलीका चाहिए फूलों की गुफ्तगूँ के लिए "
हक तो गेदा राम जी को भी कि उन्हें समय पर इलाज़ मिले
ईश्वर मृत आत्मा को राम का सामीप्य दे
शान्ति.....शान्ति.......शान्ति........!
और भूमि पर अभिव्यक्ति के महा नायकों को जन स्नेह का वरदान मिले

4 टिप्‍पणियां:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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