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18 अग॰ 2008

जबलपुर में स्वातंत्रोत्तर फोटो पत्रकारिता के स्तम्भ शशिन यादव

शशिन यादव ,

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर चित्र, शशिन जी की प्रदर्शनी हमने भी आयोजित करवाई थी.

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  2. bhai khoob aap jamkar kaam kar rahe hain.aapka blog nisandeh zara hatkar hai.

    http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
    http://hamzabaan.blogspot.com/
    http://saajha-sarokaar.blogspot.com/

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  3. I AM AGREE WITH SHAHROZ JEE
    MUKUL JE BADHAI HO

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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