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20 मई 2009

स्वागतम कहें


ये तो हम दौनो हैं
यानी मैं और मेरी वे
जिन्हें
संक्षेप में बिल्लोरे दंपत्ति कहा जाता है
किंतु
इस नीचे वाले ब्लॉग का
जी हाँ

2 टिप्‍पणियां:

  1. लिंक पर कोई ब्लॉग नहीं खुल रहा.

    बिल्लोरे दंपत्ति को शुभकामनाऐं.

    जवाब देंहटाएं
  2. ये मुआ कम्पुटर हटाओ ,
    ब्लोग का मत राग छेडो ।
    चाय ठन्डी होरही है,
    राग सब्जी -दाल छेडो ।

    जवाब देंहटाएं

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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