तुम जो सरकारें बनाते हो
तुम जो सरकारें सजाते हो
तुम जो जनतंत्र हो
कोई अपराधी नहीं
तो फिर क्यों
अपनी शक्ति के
अनुप्रयोग से दूर थे
तुम्हारा यही निठ्ल्ला-पन
तुमको एक बार फिर गुलाम
बना सकता है
जैसे अभी भी हो
आयातित विचारों के गुलाम
- गिरीश बिल्लोरे"मुकुल"
मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
जैसे अभी भी हो
जवाब देंहटाएंआयातित विचारों के गुलाम
--हम्म!!
bhaiaa sahee likha
जवाब देंहटाएंyah shakti kaa anuprayog bhee to --aayaatit vichaar hee hai?
जवाब देंहटाएं------------kyaa kahanaa hai????????