12 जुल॰ 2009

गज़ब है ये की अपनी मौत की आहट नहीं सुनते !!


ऊपर अखबार में शाया ख़बर और नीचे दुष्यंत की सोच
गज़ब है ये की अपनी मौत की आहट नहीं सुनते
वो सब के सब परीशाँ हैं वहाँ पर क्या हुआ होगा !!
मुझे बेहद दर्द हुआ था इस तरह सरकार को चूना लगाने वालों की लोभी वृत्ति से सही कहा दुष्यंत ने किंतु समाज से सरकारी धन को हड़पने की वृत्ति को कैसे समाप्त किया जाए .
दुष्यंत ने कहा था
इस सड़क पर इस क़दर कीचड़ बिछी है,
हर किसी का पाँव घुटनों तक सना है ।
समाचार युवा पत्रकार nitin patel की कलम से

2 टिप्‍पणियां:

  1. इस सड़क पर इस क़दर कीचड़ बिछी है,
    हर किसी का पाँव घुटनों तक सना है ।


    -दुष्यंत की यह पंक्तियाँ सीधे गहरे उतर गईं.

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  2. sir,padkar bahut achha laga.ye mehasus hu ke aaj ke jamane me bhi aap jisi soch wale loge hai jinse insaneyat jinda hai.

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!