मध्य प्रदेश लेखिका संघ जबलपुर ईकाई निरंतर सृजन-साधनारत है . मध्यवर्गीय शहर में आज भी रचनाशीलता को किसी प्रकार की विद्रूपता ने नहीं घेरा इस बात का प्रमाण देतीं ये साधिकाएँ मासिक गोष्ठियों के अलावा निरंतर सृजन की कोशिश में लगीं नज़र आतीं है. आपसे इनके इस प्रयास का परिचय कराना मेरा नैतिक दायित्व है
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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!