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14 अग॰ 2009

ब्लॉगर कोई बच्चा थोड़े है

[sangeeta+puri.jpg]
भाई प्रवीण जाखड़ जी की पोस्ट ऐसी पोस्ट है जिसका निशाना कई दिशाओं में साधा है। आज जन्माष्टमी के पहले आई इस पोस्ट ने हिन्दी ब्लागिंग के उस चेहरे से परिचित कराने की कोशिश की है जिसकी कल्पना तो ब्लॉगर और ही किसी टिप्पणी कार ने की होगी
जाखड जी उपरोक्त टिप्पणी के सन्दर्भ में लिखतें है "संगीता जी, कहां से बांटेंगे ज्ञान? आप उन्हें ज्ञान के रूप में कॉपी-पेस्ट टिप्पणियां जो सिखा रही हैं। वो भी यही ज्ञान बांटेंगे। संगीता जी की टिप्पणी कॉपी करेंगे और चिपका देंगे, किसी नए नवेले ब्लॉगर को। मुर्गा समझ कर! अगर समय नहीं मिलता है, आप कम ब्लॉग्स पर जाओ। लेकिन बेचारों की वाट तो मत लगाओ। नए-नए हैं, उन्हें संस्कार तो दो कि कुछ लिखें। घर का बड़ा दारू पीएगा, सिगरेट पीएगा, आवारागर्दी करेगा, तो घर के बच्चे भी यही करेंगे। गलत कह रहा हंू, तो झांक कर देख लीजिए अपने अड़ोस-पड़ोस। आप, हम कॉपी-पेस्ट चिपकाएंगे। ...तो नए ब्लॉगर क्या संस्कार लेंगे। कॉपी करो और पेस्ट चेप दो। हो गई ब्लॉगिंग। लग गई वाट।"
यानी कुल मिला कर ब्लॉग का लेखक चाहता है की उसके विचार को लोग गंभीरता से जाने टिप्पणी कर उसे बच्चा समझें यह किसी हद तक सही भी है की अगर किसी ने इस माध्यम (ब्लॉग ) का अभी अभी प्रयोग शुरू किया है सो वो विचार वान नहीं है .....?
उपरोक्त विचार अपनी जगह सही है तो संगीता पुरी जी का ज़वाब भी अपनी जगह साफ़ है "बहुत मेहनत की है आपने इस पोस्‍ट को लिखने में .. नियमित ब्‍लागरों के पोस्‍टों पर मैं विमर्श अवश्‍य करती हूं .. पर नए ब्‍लोगरों के लिए मेरे मन में अलग भावना है .. आप मुझे एक बात बताएं .. आपके घर में कोई फंक्‍शन हो .. और बहुत सारे लोगों को आप बुला रहे हो .. तो उनका स्‍वागत करते समय आप उनका रंग रूप , पद , पैसा और सम्‍मान देखेंगे या फिर एक जैसा स्‍वागत करेंगे .. पहले उनका स्‍वागत करके उन्‍हे स्‍थान तो दे दें .. फिर जो भी गुण दोष निकालना हो .. सुझाव देना हो .. विचारों से सहमति असहमति हो .. बाद में फैसला होता रहेगा .. आजतक मैने अपने ब्‍लाग का लिंक कहीं कभी नहीं दिया है .. जबकि मैं जानती हूं कि मेरे 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' का प्रचार प्रसार दुनिया के लिए बहुत आवश्‍यक है ..अब यदि नए ब्‍लोगरों का उत्‍साह बढाने के लिए मैं जो स्‍वागत भरे शब्‍द कट पेस्‍ट करती हूं .. उसमें में भी आपको आपत्ति हो तो मैं इसे बंद कर देती हूं .. आप मेरे ईमेल में भी यह बात कह सकते थे .. पर आप ईमानदारी से बताएं .. क्‍या इस पोस्‍ट लिखने के पीछे आपकी मंशा भी टी आर पी बढाने की नहीं थी ?"
वास्तव में मेरी राय में दौनों ही अपनी-अपनी जगह सही हैं कोई ग़लत नहीं ग़लत तो है ब्लागिंग में ग्रुपिज्म का कांसेप्ट। जिसके तहत आपसी पीठ खुजाई विधा को बढावा दिया जा रहा हो ..... ब्लागर्स आभासी दुनियाँ में भी खेमेबाजी और स्वयम्भू एच डी बनने की कोशिश लगें हैं ब्लॉगर ब्लॉगर है यह सभी को समझना ज़रूरी है किसी को अपने नए होने की घबराहट और पुराने होने से ज्ञान वान /सर्वज्ञ बुजुर्गियत से लबालब होने का गुरूर नहीं होना चाहिए .आप अनाधिकृत रूप से नए प्रवेशी ब्लॉगर को टिप्पणी का दाना दाल कर आकर्षित करने अथवा आपको मेरी खुले तौर पर सलाह है । उधर नए ब्लागर्स को बता देना चाहता हूँ कि टिप्पणी-लोलुप न बनते हुए सृजन-शीलता को जारी रखें यही अंतरजाल में स्थाई होगा . टिप्पणियों को लेकर चिंता करें केवल लेखन करें टिप्पणीयों का लोभ न करें । अधिक टिप्पणी पाने की लालच में विषयवस्तु की वाट ज़रूर लग जाती है।

8 टिप्‍पणियां:

  1. क्षमा कीजिए सभी बुद्धिजीवी, मैं भी इस दुनिया मे नयी हूँ ! किंतु मुझे भी बहुत सी बातें समझ नही आती! मैने प्रवीण जी केब्लॉग मे भी लिखा है, की बात केवल इतना समझने की है की, हम सभी को विषय को आराम से पढाना और समझना चाहिए,और विषयानुसार ही टिप्पण करना चाहिए ! बहुत सारे टिप्पण करने वाले टिप्पड़ बस इसलिए करते है की, उनका टिप्पण आए और उनके लिंक को दूसरे भी पढ़े और टिप्पण कर संख्या बढ़ाए ! काई टिप्पण मुझे भी अजीब लगते है, यथा

    1 बहुत खूब, बहुत सुंदर, बाधयी - जब ये विषय पर लिख दिए जाते है !
    2 स्वागती है - ये बात मुझे बहुत ख़टकती है ! क्षमा कीजिएगा, लिखने वाला एक वेब पेज मे लिख रहा है, जो उसका अपना है, उसमे लिखने की इक्षा और विषय वास्तु उसकी है, और ज़िम्मेदारी भी उसकी ही बनती है ! वो आपके पेज मे आकर नही लिख रहा ! उसका लेखन पूरे विश्व मे पढ़ा जा रहा है !फिर स्वागत का जिम्मा कुच्छ लोगों पर ही क्यों?
    3 ऐसे ही लिखते रहे - हर लिखने वाले की एक शैली होती है और विषय जो समयानुसार बदल जाती है!

    बिल्लोरे जी, आप मुझें ना जानते हो पर मैं आपको अपने बचपन से सुनती आए हूँ अपनी " मा " के मुख से ! एक बात कहना चाहती हूँ, हमारे जबलपुर मे भी कुछ यही चलन है, वही 4,5 नाम समाचार पत्रों मे छाए रहते है, वही लोग लिखते है, एक दूसरे को वाह-वाह कहते है,एक दूजे का स्वागत करते है! यही हाल इस ब्लॉग्गिंग की दुनिया आ हो गया है! आप मेरी बात से सहमत होंगे!

    हमे सबका प्रोत्साहन करना चाहिए पर आवश्यकतानुसार!

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  2. सही कहा
    कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई .

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  3. निधि बेटे मुझे आपकी बात से लगा की सच आज नेट पर गंभीर पोस्ट को पड़ने वालों का अस्तित्व है, वास्तव में ठकुरसुहाती का दौर ख़त्म हो चुका है. अथवा होने को है देखना है आप और आप जैसे कितने लोग आगे आतें हैं .आप मुझे मम्मी के ज़रिये जानतीं है यह जान कर प्रसन्नता हुई उन्हे मेरा "सादर अभिवादन " कहिये . वत्स जी ,खत्री जी, मिश्र जी सभी पधारे उनका अभिवादन .

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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