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23 सित॰ 2009

" जय हो युगरत्ना बधाई हो लखनऊ "


संयुक्त राष्ट्र संघ में युग रत्ना श्रीवास्तव का वक्तव्य -" हम बच्चों की भी बाते अपने फैसलों में शामिल करें....!" एक गंभीर वक्तव्य है ।युग रत्ना की इस बात की पुष्टि में यहां यह कहना ज़रूरी हो गया है कि जितनी नि:स्वार्थ एवं सार्वभौमिक सकारात्मक सोच बच्चों की होती है कदाचित किसी बड़ी उम्र वाले की नहीं । विश्व यह जानता है कि भारतीय संस्कृति और उसके {भारत के } इतिवृत में "बालक-कृष्ण'' की क्या भूमिका रही है । युग रत्ना के इस वक्तव्य का सीधा सपाट संकेत सरकारों और राजनेताओं के लिए यह है कि उस भविष्य के अहम् फैसलों में बच्चों और युवाओं की सोच को तरजीह देना ज़रूरी है.....सच है कि इनको आने वाले समय की बाग़ डोर अपने हाथों में कल जब मिलेगी तब ये नि:शब्द - निराशाओं से घिरे न हों ! आज विश्व के सभी देश फौरी ज़रूरतों और आसन्न राजनैतिक लाभों की प्राप्ति के लिए जो भी कुछ कर रहें हैं उससे यह पीढ़ी पूर्णत: सहमत कतई नज़र आती है।
अस्तु स्वामी विवेकानंद की अंतर्राष्ट्रीय-भाषण देने की उम्र से 10 वर्ष कम उम्र संयुक्त राष्ट्र संघ में दिया युग रत्ना श्रीवास्तव का भाषण भी विश्व को नई दिशा देगा यह तयशुदा बात है.

छोटी उम्र में युगरत्ना की बड़ी बातें

तरुमित्र एनजीओ से जुड़ी हैं युगरत्ना

{ रेडियो डायचे वेले की वेब साईट से साभार }

1 टिप्पणी:

  1. अपने बिलकुल सही कहा है ये भाषण विश्वको जरूर नयी दिशा देगा। इस सार्गभित पोस्ट के लिये आभार्

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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