27 जन॰ 2010

उनने मीट की है किसी रियासत पे हमला बोला क्या.............?

'' छत्तीसगढ़ ब्लॉगर बैठक संपन्न, एक रपट: "बांच  के  मन  अति  प्रसन्न  है . फोन पे कानाफूसी हुई थी कि खाना कैसा बना, किधर मीट हो रही है आदि आदि, किन्तु व्यक्तिगत सह सरकारी व्यस्तताओं के चलते  कोई . प्रतिक्रिया न दे सका. संजीत ने कुछ ऐसा नहीं लिखा जिससे ब्लागर्स मीट में कोई संवैधानिक संकट खड़ा हो...! किन्तु फिर भी डोमेन को लेकर जो भी बात पाबला जी ने रखी शायद यह उनका गलत कदम था सुकुल जी की सलाह देखिये कित्ती ज़बरदस्त है :-''लेकिन एक शिकायत यह भी है कि रायपुरिये क्या अपने गुरु/चेला (अनिल पुसदकर/संजीत त्रिपाठी) का घर बसाने के बारे में कुछ क्यों नहीं सोचते! यह भी जरूरी काम है।''
सच किसी के घर बसाने की कित्ती उम्दा सलाह है .............. मुझे मज़ाक सूझ रहा है सो कहे देता हूँ कि घर न होंगे तो बिखराव किसका होगा सो ज़रूरी है घर हों न हों तो बसायें [बुन्देली में बसायें के अन्य अर्थ भी हैं....!] ताकि उनको तोडा जा सके. 
पता नहीं पाबला जी को क्या हो गया डोमेन खरीदे फिर उसे नीलाम करने उतारूं हैं..... ? भला कोई क्यूं खरीदेगा 
सुकुल जी साफ़ कर चुके हैं ''चिट्ठाचर्चा.कॉम जिन लोगों ने खरीदा उनसे अनुरोध है कि वे इसका सही में चर्चा करने में उपयोग करके दिखायें। चर्चा में वह काम करके दिखायें जो इससे पहले कभी नहीं हुये। किसी नीलामी में भाग लेने का हमारा कोई इरादा नहीं है।''.............सुकुल  जी का स्टैंड साफ़ है अब कोई बात ही नहीं रह गई. 
देखिये सुकुल जी कितने स्पष्ट हैं :-'झटकों में ऊर्जा होती है.उसका सदुपयोग किया जाना चाहिये.
इस महान वाक्य को 24 /01 के  सन्दर्भ में देखें तो स्थिति गड्मगड प्रतीत हो रही है . झटका किसे मिला इस बात का पता लगाया जा रहा है. ...जब तक इसका पता नहीं  जाता तब तक आप इस बात पर विचार कर सकतें हैं............कि ''उनने मीट की है किसी रियासत पे हमला बोला क्या.............?''
जे बात कई लोग कह रहे हैं 
इस बीच आपको बता दूं कि बवाल की नानी जी का देहावसान 22 जनवरी 2010 को हो गया तथा डाक्टर मलय जी की सहचरी का भी निधन 24 जनवरी 2010 को गया है. #
ॐ शांति शांति शांति '' 



9 टिप्‍पणियां:

  1. बवाल तो बड़ा अजीब निकला..कल परसों हमसे बात करता रहा लेकिन यह सूचना तक नहीं दी.

    ईश्वर उनकी नानी जी की आत्मा को एवं डॉ मलय जी की सहचरी की आत्मा को शांति पहुँचाये..

    ऊँ शान्ति!!

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  2. मैं भी बवाल जी के दुख में शरीक हूँ।

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  3. बवाल जी की नानी और डाक्टर मलय जी की सहचरी को हार्दिक श्रद्धाँजली। बाकी आपकी पोस्ट की अन्दर की बात अपनी समझ मे नहीं आयी। धन्यवाद्

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  4. बवाल जी की नानी व डॉक्टर मलय जी की सहचरी के निधन पर हमारी हार्दिक श्रद्धांजलि

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  5. हमारा स्टैंड एकदम साफ़ है और हमें चिट्ठाचर्चा.कॉम डोमेन से कोई मतलब नहीं! बाकी बातें हम कह ही चुके।

    झटकों में ऊर्जा होती है और उसका सदुपयोग किया जाना चाहिये। यह बात हमने भारतीय ब्लॉग मेला से मिले झटके के संदर्भ में कही थी जिसके बाद हमने चिट्ठाचर्चा शुरू की। 24/01 को हमें कोई झटका नहीं लगा। जो हुआ वह अप्रत्याशित नहीं था मेरे लिये। हम तो कह रहे हैं कि चिट्ठाचर्चा,कॉम डोमेन का प्रयोग करके चर्चा करके बतायें छत्तीसगढ़ के साथी कि देखो ऐसे किया जाता है काम। खाली घोषणायें करने से क्या होता है भाई जी!

    बवाल और डा.मलय के दुख में संवेदना जाहिर करते हैं।

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  6. बबाल जी की नानी जी के निधन का समाचार सुनकर अत्यंत दुःख हुआ . नानी जी की आत्मा को एवं डॉ मलय जी की सहचरी की आत्मा को शांति पहुँचाये

    ॐ शांति शांति शांति

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  7. हिंदी चिट्ठाकारिता :आत्म-चिंतन करना ज़रूरी है

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  8. आप सबका बहुत बहुत आभार इन संवेदनाओं के लिए। जबलपुर की एक खास हस्ती जिन्होंने सारा जीवन मज़्लूमों की तीमारदारी में बिताया, आज हमारे बीच नहीं रहीं। आप सबके साथ हम भी अपनी डॉक्टरनी नानी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं साथ ही उनकी तथा डॉ मलय जी की सहचरी की आत्मा को शांति प्रदान करने की की ऊपर वाले से गुज़ारिश करते हैं। आमीन।

    और हाँ जी
    मीट और हमला दो विपरीत बातें यहाँ हो रही हैं। कारण कुछ उलझा हुआ मालूम पड़ता है। नामालूम हम सबके बीच यह सब क्या और क्यूँ हो रहा है ?
    हमारे प्रियजन ग्वालानी जी, पाबला जी, अनूपजी सबके सब नाराज़ नज़र आ रहे हैं। प्यारे मुकुल भाई यह सब न होता तो कितना अच्छा होता।
    काश हम अब भी नयापारा में संस्कृत पाठशाला के सामने रहा करते। और दादू पंडित से सुबह शाम उसी तरह लड़ते झगड़ते। बाबूलाल टाकीज में अमिताभ की फ़र्स्ट डे फ़र्स्ट शो पिक्चर देखते और फिर कानपुर की बिरहाना रोड पर बैलगाड़ी के पीछे बैलगाड़ी की चाल से अपनी जीप चलाते हुए भी खुशी खुशी अपने हैड ऑफ़िस जाते, नृपेन्द्र एण्ड कंपनी (चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट्स) क्यों लाल साहब एम आय राँग ?
    चिट्ठाचर्चा का लूटापाटी से क्या रब्त ?
    खै़र।

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!