मेरे पिछले और मिसफिट पर शाया इस आलेख के बाद जो भी स्थिति सामने आई उससे एक बात ती साफ़ हो गई कि वास्तव में ब्लॉग जगत भी कुंठा के सैलाब में उमड़-घुमड़ रहा है. और चटकों की दौड़ में सार्थक पोस्ट की जो दुर्दशा हो रही है उस से हिन्दी चिट्ठाकारिता को कोई लाभ नहीं बल्कि उसके पतन का मार्ग प्रशस्त हो रहा है. प्रिय और आदरणीय साथियो :-आपके मज़बूत कंधों पे ब्लॉग जगत टिका है . और टिकी है गुरु-शिष्य परम्परा की भारतीय व्यवस्था. किन्तु कबीर की याद आते ही दृश्य एकदम साफ़ हो जाता है और अपनी दशा हो जाती है नि:शब्द मन में शेष रह जाती है सिर्फ ये ध्वनियाँ : 'चलती चाकी देख के दिया कबीरा रोय '
जहां तक अनुभव शील व्यक्तित्वों की तलाश की बात है तो लगता है यह तलाश अंतर्जाल पे बंद कर देनी होगी मुझे, हर कोई हर किसी को ज्ञान और चुनौती देने में जुटा है अगर यही ब्लागिंग है तो तज़ने योग्य है लेकिन तजिए मत हजूर !
@@अनूप जी ने कहा:-''झटकों में ऊर्जा होती है और उसका सदुपयोग किया जाना चाहिये। यह बात हमने भारतीय ब्लॉग मेला से मिले झटके के संदर्भ में कही थी जिसके बाद हमने चिट्ठाचर्चा शुरू की''
यानी किसी न किसी कारण से कोई न कोई सृजन हो ही जाता है यदि महाराज ने यह कह दिया तो बस अध्यात्म कह दिया इसके बाद कोई बात शेष नहीं रहती कि आने वाली पीढ़ी को बताया जावे कि ''हम तो कह रहे हैं कि चिट्ठाचर्चा,कॉम डोमेन का प्रयोग करके चर्चा करके बतायें छत्तीसगढ़ के साथी कि देखो ऐसे किया जाता है काम। खाली घोषणायें करने से क्या होता है भाई जी!' सुकुल जी आपने यह लिखने के पहले शायद सोच तो लिया होगा कि आपकी इस वाणी के कितने अर्थ निकलते हैं.
जहां तक अनुभव शील व्यक्तित्वों की तलाश की बात है तो लगता है यह तलाश अंतर्जाल पे बंद कर देनी होगी मुझे, हर कोई हर किसी को ज्ञान और चुनौती देने में जुटा है अगर यही ब्लागिंग है तो तज़ने योग्य है लेकिन तजिए मत हजूर !
@@अनूप जी ने कहा:-''झटकों में ऊर्जा होती है और उसका सदुपयोग किया जाना चाहिये। यह बात हमने भारतीय ब्लॉग मेला से मिले झटके के संदर्भ में कही थी जिसके बाद हमने चिट्ठाचर्चा शुरू की''
यानी किसी न किसी कारण से कोई न कोई सृजन हो ही जाता है यदि महाराज ने यह कह दिया तो बस अध्यात्म कह दिया इसके बाद कोई बात शेष नहीं रहती कि आने वाली पीढ़ी को बताया जावे कि ''हम तो कह रहे हैं कि चिट्ठाचर्चा,कॉम डोमेन का प्रयोग करके चर्चा करके बतायें छत्तीसगढ़ के साथी कि देखो ऐसे किया जाता है काम। खाली घोषणायें करने से क्या होता है भाई जी!' सुकुल जी आपने यह लिखने के पहले शायद सोच तो लिया होगा कि आपकी इस वाणी के कितने अर्थ निकलते हैं.
भारत के मानचित्र गौर से देखिये विक्की पीडिया ने साफ़ साफ़ बताया कि यह भारत का ही हिस्सा है कोई बाहरी नहीं जहाँ तक मैं सोच रहा हूँ वो हद है ब्लाग लेखन में संलग्न लोगों के आपसी रिश्ता यानी अपनापन और स्नेह जो भारत की भौगोलिक सीमा के भीतर भी ज़रूरी है बाहर भी . होनी ही चाहिए वर्ना ज्ञान दत्त जी संजीत भाई के ब्लॉग आवारा बंजारा की पोस्ट पर सटीक कह गए:-'
ब्लॉगवुड की दशा बॉलीवुड सी न हो जाए।
जवाब देंहटाएंसम्हलो सम्हलो मेरे दोस्तों
बच्चा हूँ नादान हूँ
थोड़ा सा सैतान हूँ
सच कहता...चुप न रहता हूँ।
sabase tez vah
जवाब देंहटाएंवो कत्ल करते है तो चर्चा नही होता
जवाब देंहटाएंहम आह भी करते है तो हो जाते है बदनाम
That to is
जवाब देंहटाएंचुप रह कर उर्जा एकत्रित करने में जुटा हूँ. यह भी एक साधन है.
जवाब देंहटाएंsameer ji bhee theek kahate hain
जवाब देंहटाएंaadesh sir maathe
चुप्पी की कुप्पी से तेल भर ऊर्जा एकत्र कर रहे है,
जवाब देंहटाएंआखो पर पट्टी बधी हो तो कोई अंधा नही होता,
भगवान ने कान दिया है सब सुनाई देता है।
क्या करना है गिरिश भाई , आत्म चिंतन ........मगर उसके लिए तो आत्म यानि आत्मा का होना जरूरी है न शायद........चलिए पहले उसी को तलाशा जाए ..मिलएगा तो चिंतन भी कर ही लेंगे , रही बात प्रखर और मौन रहने की तो मौन रह के देख लिया अब जरा प्रखर होके भी देख ही लें
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
Bahut sahee ji
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