13 नव॰ 2010

सद गुरु स्वामी शुद्धानंदनाथ के सूत्रों का आलेखन

पाठको
सदगुरु की कृपा के बिना जीवन महज बायोलाजिकल-स्ट्रैक्चर के अतिरिक्त कुछ भी नहीं आज से इस ब्लाग पर आप पाएंगें उनके द्वारा साधकों को दिये सूत्र जो करिश्माई थे "जीवन में अध्यात्म का योग कैसे हो सहज मिल जावेगा "
इस ब्लाग के अलावा "बावरे-फ़क़ीरा" पर  उनके पत्रों का प्रकाशन करना भी ज़रूरी है आप का सम्बल आशीर्वाद बना रहे  है .
रविवार दिनांक १४ नवम्बर २०१० से यह यात्रा आरम्भ कर सकूंगा

3 टिप्‍पणियां:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!