ललित भाई की पोस्ट की धार पहचानना सहज नहीं समझता वही है जो उस घटना या स्थिति से गुज़रा हो अथवा उसका हिस्सा रहा हो. किंतु भाई का हमको छत्तीसगढ़िया समझ लेना समझ न आया.
"छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड,महाराष्ट्र, से ब्लॉगर्स पहुचे थे. परिकल्पना ब्लॉग उत्सव के माध्यम से हमें सभी ब्लॉगर्स से मिलने का मौका मिला और ऐसा कोई भी रसायन नहीं है जो सभी को संतुष्ट कर सके." दिल्ली में मिलना मिलाना इतना अपनापन बो गया कि हम अभी भूत हुये यशवंत भाई का आकर गले लगना, खुशदीप का हाथ हिला कर अभिवादन का उत्तर देना भाई रमेश जैन सिरफ़िरा का हमको खोज के मिलना. वाह जितनों से मुलाक़ात हुई ऐसा तो लगा ही न था कि मैं किसी से प्रथम बार मिल रहा हूं. लोग जाने क्यों इस दुनिया को आभासे दुनिया कहते हैं. ब्लागर मित्र समीर भाई भी सम्मानित हुए जिसे ग्रहण करने का सौभाग्य मुझे ही हासिल हुआ. हमारे जबलपुरिया मित्र लिमिटि खरे जी से भेंट न हो सकी.
गिरिजा शरण जी अग्रवाल का अपनत्व तो मुझे उनका मुरीद बना लेने की खास वज़ह है

_____________
अगले अंक यानी समापन किश्त में ललित शर्मा जी एवम गुरुदेव अवधिया के बीच हुआ
...... देखना न भूलिये
_____________
अरे भैया छत्तीसगढ़ का डामर अभी तक भोपाल की सड़कों पर चिपका है.
जवाब देंहटाएंऔर हमारा तो जन्म ही मध्यप्रदेश का है....शिक्षा-दीक्षा भी मध्य प्रदेश की है.
अब बताओ आपको किस तरह अलग कर दें.
सुपर रिन की खरीददारी में ही समझदारी है, दद्दू