11 अक्टूबर को मैहर से मुख्यमंत्री करेंगे बेटी बचाओ अभियान यात्रा का शुभारंभ,
समाज का अभियान है ‘‘बेटी बचाओ अभियान’’ - श्री चौहान
बेटी बचाओ अभियान: पीएनडीटी एक्ट पर केन्द्रित होंगी अधिकांश गतिविधियाँ
हादसे ने बदला लिंगानुपात
समाज का अभियान है ‘‘बेटी बचाओ अभियान’’ - श्री चौहान
बेटियों के जन्म के प्रति मानसिकता बदलने और समाज में सकारात्मक सोच लाने के लिये प्रदेश में पाँच अक्टूबर से बेटी बचाओ अभियान की शुरूआत हो रही है। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान अपने निवास से बेटी बचाओ अभियान की शुरूआत करेंगे। इसके साथ ही प्रति वर्ष पाँच अक्टूबर को ‘‘बेटी बचाओ दिवस’’ के रूप में मनाया जायेगा। मुख्यमंत्री ने आज यहाँ मंत्रालय में बेटी बचाओ अभियान के अंतर्गत आयोजित होने वाले कार्यक्रमों और गतिविधियों के स्वरूप पर विस्तार से चर्चा की। श्री चौहान ने कहा कि बेटी बचाओ अभियान सिर्फ राज्य सरकार का नहीं पूरे समाज का अभियान है। समाज के प्रत्येक वर्ग को साथ लेकर इसे संचालित किया जायेगा। बेटियों को बचाने के लिये सभी समुदायों के भावनात्मक जुड़ाव के बिना अपेक्षित परिणाम मिलना असंभव है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटी बचाओ अभियान लोगों का अभियान है। यह व्यापक जनहित से जुड़ा विषय है। दुनियाभर में बेटियों को बचाने पर चिन्ता व्यक्त की जा रही है। राज्य सरकार ने यह पहल की है। समाज की व्यापक भागीदारी जरूरी है। ‘‘बेटी बचाओ अभियान यात्रा’’ 11 अक्टूबर से मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटियों के जन्म को उत्सव के रूप में मनाने की मानसिकता बनाने के लिये वे विभिन्न चरणों में ‘‘बेटी बचाओ अभियान यात्रा’’ का शुभारंभ करेंगे। बेटी बचाओ अभियान यात्रा के प्रथम चरण का शुभारंभ मैहर (सतना) से 11 अक्टूबर 2011 को होगा। यह यात्रा चार दिन चलेगी और सतना, पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर जिलों से गुजरेगी। इस दौरान जिला मुख्यालयों और यात्रा मार्ग में आने वाले तहसील मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री की जनसभाओं का आयोजन होगा। बैठक में बताया गया कि नवरात्र के शुभारंभ से मोबाइल पर बेटी बचाने से संबंधित संदेशों का प्रसारण होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म गुरूओं, धर्म प्रचारकों, प्रवचनकारों, समाज सुधारकों, अशासकीय संगठनों, मीडिया संस्थानों के प्रमुखों, समाजों के प्रतिनिधियों, राजनैतिक दलों से अलग-अलग चर्चा की जायेगी और बेटियों के प्रति समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण लाने और मानसिकता बदलने में समाज को जाग्रत करने का आग्रह किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने जिलों के प्रभारी मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और कलेक्टरों से अपने-अपने क्षेत्रों में जन जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित करने का आग्रह किया है। सभी जिलों में बेटी बचाने के लिये संकल्प पत्र भरवाया जायेगा। समाज के विभिन्न वर्गों की सामाजिक, शैक्षणिक स्थिति को देखते हुए नारे तैयार करवाये गये हैं। गाँवों में दीवारों पर नारे लिखवाये जायेंगे। बेटियों से संबंधित मुद्दों के प्रति समाज को संवेदनशील बनाने के लिये बेटियों को गोद लोने वाले दम्पतियों को सम्मानित किया जायेगा। मुख्यमंत्री निवास से शुरूआत ‘‘बेटी बचाओ अभियान’’ की शुरूआत पाँच अक्टूबर को मुख्यमंत्री निवास से होगी। शुभारंभ कार्यक्रम की रूपरेखा के अनुसार मुख्यमंत्री भोपाल जिले के लिये बेटी बचाओ रथ को रवाना करेंगे। करीब एक हजार बेटियों को मुख्यमंत्री निवास पर आमंत्रित किया जायेगा। इनमें आंगनवाड़ी, स्कूलों और महाविद्यालयों में पढ़ने वाली बेटियाँ शामिल होंगी। बैठक में प्रमुख सचिव महिला बाल विकास श्री बी.आर. नायडू, प्रमुख सचिव वित्त श्री जी.पी. सिंघल, प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास श्रीमती अरूणा शर्मा, जनसंपर्क आयुक्त श्री राकेश श्रीवास्तव, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के संचालक श्री मनोहर अगनानी, संचालक महिला एवं बाल विकास श्री अनुपम राजन एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। |
बेटी बचाओ अभियान: पीएनडीटी एक्ट पर केन्द्रित होंगी अधिकांश गतिविधियाँ
मध्यप्रदेश में पाँच अक्टूबर से प्रारंभ होने वाले ‘बेटी बचाओ अभियान‘‘ के तहत अधिकांश गतिविधियाँ पी.सी. एंड पी.एन.डी.टी. एक्ट (गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम) पर आधारित होगीं। राज्य शासन ने बेटी बचाओ अभियान के संबंध में मंत्रि परिषद की जो समिति गठित की थी, उसने 66 विभिन्न बिदुंओं पर गतिविधियों के संचालन का निर्धारण किया है। इनमें से ज्यादातर गतिविधियाँ पी.सी. एंड पी.एन.डी.टी. एक्ट के इर्द-गिर्द रहेगी। बारह विभागों की सहभागिता से संचालित होने वाली गतिविधियों में महिला एवं बाल विकास के अलावा स्वास्थ्य विभाग की भूमिका भी महत्वपूर्ण रहेगी।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग राज्य स्तर पर पी.सी. एंड पीएनडीटी इकाई गठित करेगा। जिला स्तरीय पी.सी. एंड पी.एन.डी.टी. प्रकोष्ठ का सुदृढ़ीकरण किया जायेगा। एक्ट के उल्लंघन की ऑन-लाईन शिकायत दर्ज करने के लिए वेबसाईट www.hamaribitiya.nic.in संचालित की जायेगी। एक्ट पर जिला समुचित प्राधिकारी (कलेक्टर), सलाहकार समितियों, जिला अभियोजन अधिकारियों का सघन प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया जायेगा।
पीएनडीटी एक्ट के अंतर्गत जिला सलाहकार समितियों में विशेषज्ञ अशासकीय संस्थाओं का नामांकन सुनिश्चित किया जायेगा। चिकित्सकों के संगठन फॉग्सी (FOGSI), इरिया (IRIA), आई.एम.ए. (IMA) आदि को एक्ट के सफल क्रियान्वयन के लिए सकारात्मक भूमिका निभाने हेतु सहमत किया जायेगा। प्रदेश से लगे अन्य राज्यों के सीमावर्ती जिलों के साथ एक्ट के पालन हेतु सहभागी कार्यक्रम होंगे। राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के सहयोग से न्यायिक सेवा के अधिकारियों को एक्ट के प्रावधानों से अवगत कराया जायेगा। सोनोग्राफी केन्द्रों पर मॉनीटरिंग में आई.टी. का उपयोग होगा। इसके तहत ऑन-लाईन वेबपोर्टल स्थापित होगा। एक्टिव ट्रेकर (साइलेंट ऑब्जर्वर) के माध्यम से सोनोग्राफी केन्द्रों की निगरानी रखी जायेगी। प्रयोग के तौर पर ग्वालियर, भोपाल, जबलपुर, इंदौर सहित सभी संभागीय मुख्यालयों पर यह व्यवस्था रहेगी।
पी.सी. एंड पी.एन.डी.टी. एक्ट के अंतर्गत संचालित पुरस्कार योजना में संशोधन करते हुए किसी भी प्रकार की जानकारी देने पर सूचनाकर्ता को उस प्रकरण का चालान प्रस्तुत होने पर पच्चीस हजार रूपये, चार्जेस फ्रेम होने पर पच्चीस हजार रूपये एवं प्रकरण में दोषी को सजा होने पर पचास हजार रूपये की राशि, इस प्रकार कुल एक लाख रूपये दिये जायेगें। सोनोग्राफी संबंधी शिकायतों के लिए एक टोल-फ्री कॉल सेंटर स्थापित कर सोनोग्राफी केन्द्रों पर इस आशय का नोटिस लगेगा कि ‘‘लिंग परीक्षण संबंधी शिकायत करने के लिए टोल-फ्री नंबर पर फोन करें। इसमें यह दर्शाया जायेगा कि शिकायत सही पाये जाने पर शिकायतकर्ता को योजना के अनुसार एक लाख रूपये का पुरस्कार दिया जायेगा। शासकीय मेडिकल कॉलेज में सोनोग्राफी का छः माह का प्रशिक्षण भी शासकीय चिकित्सकों को दिया जायेगा। केवल रेडियोलॉजिस्ट, गायनोकोलॉजिस्ट अथवा के बाद एमबीबीएस डॉक्टर को ही ऑब्सट्रेटिक सोनोग्राफी का प्रशिक्षण दिया जायेगा। प्रशिक्षित एमबीबीएस चिकित्सकों द्वारा केवल जिला स्तर से नीचे के शासकीय अस्पतालों में सोनोग्राफी की जा सकेगी। प्रशिक्षण चिकित्सक सिर्फ शासकीय अस्पतालों में ही सोनोग्राफी कर सकेगें तथा निजी सोनोग्राफी मशीन संचालित नहीं कर सकेगें। इन चिकित्सकों का उक्त प्रशिक्षण शासकीय सेवा में रहते हुए ही मान्य रहेगा, जिस दिन वे सेवा से अलग होगे, उस दिन यह प्रशिक्षण स्वमेव अमान्य हो जायेगा। एक सोनोलॉजिस्ट तीन से अधिक सोनोग्राफी केन्द्रों पर कार्य नहीं कर सकेगा। निजी चिकित्सकों को शासकीय मेडिकल कॉलेजों में सोनोग्राफी का प्रशिक्षण नहीं दिया जायेगा।
चिकित्सा पाठ्यक्रम एवं नर्सिंग पाठ्यक्रमों में पी.सी.एडं पी.एन.डी.टी. एक्ट, लिंग संवेदीकरण एवं वर्तमान परिदृश्य में बेटी बचाओ अभियान की महत्ता विषय के समावेश की पहल की जायेगी। एक्ट के अंतर्गत सोनोग्राफी मशीन संचालित करने के लिए एक वर्ष के अनुभव प्रमाण-पत्र के आधार पर दी जाने वाली अनुमति को अमान्य किया जायेगा। घटते शिशु लिंगानुपात के परिप्रेक्ष्य में एम.टी.पी. एक्ट (चिकित्सीय समापन अधि.) में भी आवश्यकता के अनुसार संशोधन होगें।
प्रलय श्रीवास्तवहादसे ने बदला लिंगानुपात
भिण्ड जिले के खरौआ गाँव में इसी साल जून में हुए एक हादसे के बाद वहाँ लड़कियों की अहमियत फिर बढ़ गई है। नतीजा यह है कि बच्ची के जन्म को अभिशाप मानने वाले इस गाँव में पिछले तीन महीनों में न सिर्फ 14 बच्चियाँ पैदा हो चुकी हैं बल्कि, उनकी अच्छी परवरिश के चलते वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। यही नहीं, गाँव में लड़के-लड़की के जन्म का अनुपात ही पूरी तरह बदल गया है।
खरौआ गाँव में 30 जून को पूर्व सरपंच सूर्यभान सिंह गुर्जर के यहाँ एक बच्ची जन्मी थी। लेकिन बजाय खुशियों के, उसके घर मातम पसर गया। जुनूनी सूर्यभान ने तो आपा खो कर अपने परिजन के साथ उस मासूम नवजात का बेरहमी से कत्ल ही कर डाला। सबसे दुःखद बात तो यह थी कि इस बच्ची को अपनी माँ के साथ घर जाने तक का मौका नहीं दिया गया था। सीधे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से बच्ची को उठाकर उसे मौत के घाट उतारा गया।
जिला प्रशासन ने इसकी खबर लगते ही कानूनी कार्रवाई के बतौर जो जरूरी था उसे अंज़ाम दिया। गाँव के मौजूदा सरपंच रामअख्तियार सिंह से सूर्यभान के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई। जिला कलेक्टर की पहल पर मामले की जाँच पुलिस अफसरों ने की और अपराधियों को सीखचों में पहुँचाया। कलेक्टर ने इस सामाजिक बुराई के मुकम्मल खात्मे का एक और तरीका अपनाते हुए गाँव में लड़कियों के प्रति सद्भाव पैदा करने का माहौल भी बनवाया। उन्होंने यह ताकीद की कि गर्भ में पलने वाली या जन्म लेने वाली बच्ची के खात्मे की फिर किसी ने जुर्रत की तो प्रशासन उसके साथ और सख्ती से पेश आयेगा।
इसके बाद गाँव में 14 बच्चियाँ जन्म ले चुकी हैं। यही नहीं, लिंग-अनुपात में भारी बदलाव आ गया है। बानगी यह है कि साल 2009 में जहाँ इस गाँव में 17 बालक और 8 बालिकाएँ जन्में थे वहीं साल 2011 में 4 बालक और 14 बालिकाएँ पैदा हुए हैं। इनकी अच्छी परवरिश भी चल रही है। इस आश्चर्यजनक परिवर्तन से अब गाँव वाले चौंकते नहीं हैं, बल्कि खुशी जता रहे हैं।
योगेश शर्मा
प्रयास सफल हों, यही कामना है।
जवाब देंहटाएंबेटी हे तो कल हे
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