13 सित॰ 2008

उड़ानों में व्यस्त हैं।

मन का पंछी
मन का पंछी खोजता ऊँचाइयाँ,
और ऊँची और ऊँची
उड़ानों में व्यस्त हैं।
चेतना संवेदना, आवेश के संत्रास में,
गुमशुदा हैं- चीखों में अनुनाद में।
फ़लसफ़ों का ,
दृढ़ किला भी ध्वस्त है।
मन का पंछी. . .
कब झुका कैसे झुका अज्ञात है,
हृदय केवल प्रीत का निष्णात है।
सुफ़ीयाना, इश्क में अल मस्त है-
मन का पंछी. . .
बाँध सकते हो तो बाँधो,
रोकना चाहो तो रोको,
बँधा पंछी रुका पानी,
मृत मिलेगा मीत सोचा,
उसका साहस और जीवन
इस तरह ही व्यक्त है।।
मन का पंछी. . .
आभास फिल्म में बतौर गायक ही नहीं वरन सिल्वर स्क्रीन पर भी छा जाएगा ......
किंतु एन डी टी वी इमेजिन के शो लक्स जूनून कुछ कर दिखाने का में आभास एक बार खिताब हासिल कराने आमादा है
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वो एलबम है जो उसने मेरे गीतों को लेकर गाया है
इस के लिए किसी भी कलाकार ने कोई पैसा नहीं लिया सभी कलाकारों
ने "पोलियो-ग्रस्त-बच्चों की मदद KE लिए बने इस साई-भक्ति एलबम में नि:शुल्क सहयोग किया "

2 सित॰ 2008

जो जिया वो प्रीत थी ,


जो जिया वो प्रीत थी ,अनजिया वो रीत है
शब्द भरम को तोड़ दे ,वोही तो मेरा गीत है
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प्रीत के प्रतीक पुष्प -माल मन है गूंथता
भ्रमर बागवान से -"कहाँ है पुष्प ?" पूछता !
तितलियाँ थीं खोजतीं पराग कण
पुष्प वेणी पे सजा उसी ही क्षण ,!
कहो ये क्या प्रीत है या तितलियों पे जीत है…….?
शब्द भरम को तोड़ दे ,वोही तो मेरा गीत है !
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सुबह,-"सुबह" उदास सी,उठी विकल पलाश सी
चुभ रही थी वो सुबह,ओस हीन घास सी
हाँ उस सुबह की रात का पथ भ्रमित सा मीत है
शब्द भरम को तोड़ दे ,वोही तो मेरा गीत है !
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तभी तो हम हैं हम ज़बाँ को रात में तलाशते
मिल गए तो खुश हुए,मिले न तो उदास से
यही तो जग की रीत है हारने में जीत है
शब्द भरम को तोड़ दे ,वोही तो मेरा गीत है !
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