मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
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2 सित॰ 2008
जो जिया वो प्रीत थी ,
जो जिया वो प्रीत थी ,अनजिया वो रीत है
शब्द भरम को तोड़ दे ,वोही तो मेरा गीत है
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प्रीत के प्रतीक पुष्प -माल मन है गूंथता
भ्रमर बागवान से -"कहाँ है पुष्प ?" पूछता !
तितलियाँ थीं खोजतीं पराग कण
पुष्प वेणी पे सजा उसी ही क्षण ,!
कहो ये क्या प्रीत है या तितलियों पे जीत है…….?
शब्द भरम को तोड़ दे ,वोही तो मेरा गीत है !
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सुबह,-"सुबह" उदास सी,उठी विकल पलाश सी
चुभ रही थी वो सुबह,ओस हीन घास सी
हाँ उस सुबह की रात का पथ भ्रमित सा मीत है
शब्द भरम को तोड़ दे ,वोही तो मेरा गीत है !
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तभी तो हम हैं हम ज़बाँ को रात में तलाशते
मिल गए तो खुश हुए,मिले न तो उदास से
यही तो जग की रीत है हारने में जीत है
शब्द भरम को तोड़ दे ,वोही तो मेरा गीत है !
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सुन्दर गीत है।
जवाब देंहटाएंतितलियाँ थीं खोजतीं पराग कण
पुष्प वेणी पे सजा उसी ही क्षण ,
कहो ये क्या प्रीत है
या तितलियों पे जीत है
जो जिया वो प्रीत थी ,अनजिया वो रीत है
जवाब देंहटाएंशब्द भरम को तोड़ दे ,वोही तो मेरा गीत है
बहुत ही सुन्दर कविता, खुब सुरत शव्द
धन्यवाद
बाली जी
जवाब देंहटाएंश्रृंगार की कठोरता के विरुद्ध
विद्रोही भाव है मन में
आभारी हूँ आपका
दादा
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आभार
स्नेह बनाए रखिए
समीर भाई
जवाब देंहटाएंआज क्या व्यस्त हैं
सबसे पहले बाली जी फ़िर दादा-"राज"
पर आप क्या............?
तभी तो हम हैं हम ज़बाँ को रात में तलाशते
जवाब देंहटाएंमिल गए तो खुश हुए,मिले न तो उदास से
यही तो जग की रीत है हारने में जीत है
शब्द भरम को तोड़ दे ,वोही तो मेरा गीत है !
in lino ne mujhe aapka kayal bna diya
bahut achche
rakesh jee
जवाब देंहटाएंsaadar abhivadan
aabhare hoon