सभी भाइयो बहनों
सादर अभिवादन स्वीकारिये
आपको यह जान कर खुशी होगी की अपने राम ने एक हज़ार ग्यारह पोस्ट लिख कर कीर्तिमान बना लिया । मेरी कंपनी के कुल ७ हैं ।
सादर अभिवादन स्वीकारिये
आपको यह जान कर खुशी होगी की अपने राम ने एक हज़ार ग्यारह पोस्ट लिख कर कीर्तिमान बना लिया । मेरी कंपनी के कुल ७ हैं ।
- मुकुल का चिट्ठा : 101 संदेश
- मिसफिट 190 संदेश,
- "खज़ाना" : 348 संदेश
- उषा किरण : 203 संदेश
- नार्मदेय ब्राह्मण समाज, : 14 संदेश
- बावरे-फकीरा :: 118 संदेश
- मेलोडी ऑफ़ लाइफ : 38 संदेश
दीजिए ।
बहुत बहुत बधाई . आप जल्द से जल्द १००००१ वी पोस्ट लिखें शुभकामनाओ के साथ .
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र मिश्र
जबलपुर.
वाह ! आपको बधाई । संख्या निरन्तर बढ़े, बढ़ती जाय।
जवाब देंहटाएंबधाई हो, धुरन्धर लिक्खाड़ हैं आप।
जवाब देंहटाएंसंख्या 'दशमलव' पद्धति में है, यह स्पष्ट कर दें। अन्यथा हम जैसे मूढ़ जो इतनी बड़ी संख्या पर विश्वास नहीं कर इसे 'बाइनरी' में समझेंगे और तब उसका 'दशमलव' मूल्य रह जाएगा केवल 11.
ताव में न आइए। हम ऐसे ही कह रहे थे ;)
फिर से बधाई।
बधाई!
जवाब देंहटाएंबढ़िया, बधाई।
जवाब देंहटाएंआपने कहा तो हमने अपने इकलौते ब्लॉग की पोस्ट गिनी
अभी तक 1984
माह के अंत तक 2000
बधाई ! मानते हैं आपने पक्का लिखमारी होंगी . आपके पास कोई और काम तो है ही नहीं न :)
जवाब देंहटाएंबधाई और शुभकामनाऐं..
जवाब देंहटाएंवीर तुम बढे चलो
जवाब देंहटाएंधीर तुम बढे चलो
आदरणीय उसमें से आपको पसंद कितनी हैं ? ? ?
जवाब देंहटाएंaapko 1011 x 1011 badhaaiyan !aap badhaaiyan gino, tab tak main 100,001 post ki taiyaari karta hoon
जवाब देंहटाएं.......ha ha ha ha ha ha ha
Now your ID
जवाब देंहटाएंShri Shri 1011 likhhad maharaj
बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंlakh lakh badhaiyan
जवाब देंहटाएंबधाई ! मानते हैं आपने पक्का लिखमारी होंगी . आपके पास कोई और काम तो है ही नहीं न :)
जवाब देंहटाएंभाई विवेक आपकी टिप्पणी में जो देखा वो कुंठा सागर का उफान बस है अगर आप मेरी ज़िन्दगी के बारे में जानना चाहतें हैं तो बस एक दिन मेरे साथ रह लीजिए सारे ताले खुल जाएंगे दिमाग के वैसे मुझे इन कुंठित ध्वनियों की आदत सी बन गयी है .
Anonymous said...
आदरणीय उसमें से आपको पसंद कितनी हैं ? ? ?
सच कहूं एक भी नहीं पर आप जैसी छिप के तीर चलाना मेरी फितरत नहीं
महेन्द्र मिश्र
हिमांशु जी
गिरिजेश राव जी .
अनूप शुक्ल जी
लोकेश जी
रंजन जी
राजीव तनेजा जी
मनोज भाई
अलबेला जी
राज दादा जी
धीरू भैया
सादर आभार वास्तव में कुंठित टिप्पणियों से भी साहस मिला है .... संघर्ष के लिए शक्ति जो मिली
आदरणीय किसी भी कवि ,रचनाकार , फिल्मकार आदि आदि , से ये प्रश्न किया जाता है वो इसे भाव से सहज लेता है और सहज उत्तर देता है !
जवाब देंहटाएंपर आपको---- बुरा लगा ?---- तीर चलाना ?
आपकी प्रतिक्रिया एकदम सही है जब आपकी रचनाएँ आपको ही पसंद नहीं फिर भी ढोल रहे हैं तो अपराध बोध तो होगा ही !
कल्पना करें कि अगर कोई आपका साक्षात्कार और ये सवाल पूछता तो क्या तब भी आपकी प्रतिक्रिया नकारात्मक होती ?
जहाँ तक विवेक जी की टिप्पणी का प्रश्न है वो मुझे आत्मीयता और संबंधों में नैकट्य का प्रतीक लगी ! ये स्वस्थ और सहज परिहास था इसका उत्तर परिहास से ही देना उचित होता !
जरा आत्म चिंतन करें
अग्यातानंद जी
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन
आपने सही ही कहा है वैसे आपकी छवि के दर्शन हो जाते तो हम कृतार्थ हो जाते .
लोकेश भाई की पोस्ट संख्या
अभी तक 1984माह के अंत तक 2000 होंगी यानी अंतर्जाल पर हिंदी का विस्तार सराहनीय है वैसे लोकेश भाई भी कामकाजी इंसान है जैसा मुझे ज्ञात हुआ है अनूप शुक्ल जी भी ऐसे आइकान हैं जो महत्वपूर्ण काम के साथ यह कार्य कर रहें है, भाई ताऊ,मिश्र जी विवेक जी और जाने कितने लोग अपनी अपनी फील्ड के व्यस्ततम व्यक्ति हैं उधर पूर्णिमा बर्मन आदि आदि सभी कुछ न कुछ काम काज तो कर ही रहें होंगे विवेक जी का कथन मित्रवत रहा है मेरे मामले में मुझे नहीं लगता मैं खुलकर कह सकता हूँ कि उनकी यह टिप्पणी
"Blogger विवेक सिंह said...
बधाई ! मानते हैं आपने पक्का लिखमारी होंगी . आपके पास कोई और काम तो है ही नहीं न :)
विशुद्ध नकारात्मक है जिससे मुझे एतराज़ है आप उनकी पैरवी कर रहें हैं मुझे इस बात का कोई उचित आधार नहीं नज़र आ रहा , फिर भी कोई बात नहीं लिखने बकने दिखने का अधिकार सबको है - मुझे कोई शिकवा नहीं पर एक बात साफ़ तौर पर जनता हूँ कि ब्लागिंग का सीमांकन न्यायोचित नहीं और मेरी पोस्ट पर इस तरह की हरकत से मुझे जो आघात मिला उसके लिए जिम्मेदार कुंठा भाव का विरोध मेरा अधिकार था.
रहा साक्षात्कार जैसा मामला सो वो चेहरा सामने होता छिपा नहीं जो आप हैं. न तो मैं महान हूँ न ही महानता का नाट्य मंचन करने का मुझे कोई शौक ही है ... अब आप अपना ब्लॉग का पता तो दीजिए फिर सच सबके सामने ला दूंगा कि ............. खैर छोडिये मुझे नहीं विवेक जी और आप आत्म चिंतन कीजिये मैं तो चला कामकाज निपटाने
ईश्वर आपकी सदा सहायता करे