मेरे इस सवाल पर ठहाकों का होना लाजिमी था.पर्यावरण की रक्षा के लिए मेरे कार्यक्षेत्र में कुछ सिखाना है यह सोच कर एक संकल्प लिया था जो अब भी जारी है . सूचना के लिए बता दूं कि मेरे मातहत 11 सुपर्वाइज़र के अधीन 272 आंगनवाडी केंद्र हैं अपने प्रथम परिचय में जब आंगनवाडी-कार्यकर्ताओं से पूछा :-""बन्दर चश्मा क्यों नहीं लगाते ?" {बाल - विकास }
प्रशासनिक भय वश हंसीं तो नहीं ये महिलाएं लेकिन उनके चेहरे के भावों से ज़ाहिर हो गया कि मेरे मूर्खता पूर्ण सवाल का ज़वाब सिर्फ और सिर्फ हंसी ही है , जो डर से निकल नहीं पा रही .जब हम हँसे तो सुपर्वाइज़र हँसने लगीं फिर क्रमबद्ध रूप से कार्यकर्ता और फिर उनकी सहायक यानी सहायिकाएं ...!
फिर हमने दूसरा मूर्खता पूर्ण सवाल किया कि "तुलसी" घर में क्यों लगाईं जाती है...?
इत्ती सी बात का ज्ञान मुझे नहीं है जानकार फुसफुसाहट के बीच एक थोडी ऊँची आवाज सुनाई दी :"पूजा के लाने और काय ?"
वो आवाज़ पूरी सुनाई देती तो यह होता अगला भाग....."इत्ती सी बात नंईं जानता अधिकारी बनके आया है हमारा !"
बस इन्हीं बेवकूफी भरे सवाल से शुरू बैठक का सिलसिला जब रवां हुआ तो सबको समझ आया की "जो जितना करीब है प्रकृति के वो उतना ही स्वस्थ्य और बलवान है,
बन्दर को दृष्टि दोष न होना एक मिसाल है "
इत्ती सी बात का ज्ञान मुझे नहीं है जानकार फुसफुसाहट के बीच एक थोडी ऊँची आवाज सुनाई दी :"पूजा के लाने और काय ?"
वो आवाज़ पूरी सुनाई देती तो यह होता अगला भाग....."इत्ती सी बात नंईं जानता अधिकारी बनके आया है हमारा !"
बस इन्हीं बेवकूफी भरे सवाल से शुरू बैठक का सिलसिला जब रवां हुआ तो सबको समझ आया की "जो जितना करीब है प्रकृति के वो उतना ही स्वस्थ्य और बलवान है,
बन्दर को दृष्टि दोष न होना एक मिसाल है "
तुलसी माता अब डाक्टर तुलसी के नाम से भी जानी जातीं हैं मेरी परियोजना में । इतना ही नहीं सब को मालूम है कि प्रकृति में सबसे अच्छी समझी जाने वाली प्रजाति "मनुष्य-प्रजाति" सबसे ज़्यादा उपयोगी संसाधन का दोहन/उपभोग करके प्रकृति को गंदा करती है......? ""जबकि हमारा भ्रम ये है कि हम पृथ्वी के शुभ-चिन्तक हैं
मेने कई बंदर टाइप आदमिओं को चश्मा लगाये देखा है
जवाब देंहटाएंविचारणीय पोस्ट लिखी है।
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए आभार
जवाब देंहटाएंकसम से आज कलेक्ट्रेट में एक नक-चढा ऐसा ही दिख रहा था मुझे
बाली जी आभार
Thanks
जवाब देंहटाएंप्रश्न विनोदपूर्ण किन्तु गहरी बात, वाह मुकुल भाई।
जवाब देंहटाएंलेकिन सर्कस में तो पहनते हुए देखा है।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
ईश्वर की असीम कृपा और अनुकंपा|!|
जवाब देंहटाएंjai ho gurudev.....shandar post.....
जवाब देंहटाएंbahut achii baat uthaayi hai aapne...bandar jis din gharo me palne lagenge sachmuch shayad unko bhi chashma lag jaaye...
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