मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
bahut badhiya badhai achchi prastuti .
सार्थक शब्द मंजूषामिश्र जी का भी सादर अभिवादन
सही आगाज...जगाये हैं अलख हम भी..पेड़ लगाओ धरा बचाओ..अभियान से.लोगो ब्लॉग पर लगा है.किसलय जी को साधुवाद!!
समीचीन रचना
वक्त का तकाज़ा
वाह भाई साहब
पर्यावरण पै केन्द्रित आपकै कविता बड़ीनीक लागि | अनाज कै महिमा समझतहौ, बड़ा उत्तम अहै | भइय्या हमरे ब्लाग पै कमेन्ट बुन्देली माँ कीन करौ |हमरौ ग्यान बढ़े | यक बुन्देली प्रेमी का यक अवधीप्रेमी कै सलाम ... ... धन्नबाद ...........
कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !! बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के ! सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!
bahut badhiya badhai achchi prastuti .
जवाब देंहटाएंसार्थक शब्द मंजूषा
जवाब देंहटाएंमिश्र जी का भी सादर अभिवादन
सही आगाज...जगाये हैं अलख हम भी..पेड़ लगाओ धरा बचाओ..अभियान से.लोगो ब्लॉग पर लगा है.
जवाब देंहटाएंकिसलय जी को साधुवाद!!
समीचीन रचना
जवाब देंहटाएंवक्त का तकाज़ा
जवाब देंहटाएंवाह भाई साहब
जवाब देंहटाएंपर्यावरण पै केन्द्रित आपकै कविता बड़ी
जवाब देंहटाएंनीक लागि | अनाज कै महिमा समझत
हौ, बड़ा उत्तम अहै |
भइय्या हमरे ब्लाग पै कमेन्ट बुन्देली
माँ कीन करौ |हमरौ ग्यान बढ़े |
यक बुन्देली प्रेमी का यक अवधी
प्रेमी कै सलाम ... ...
धन्नबाद ...........