मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
अभी दीपक मशाल जी को और सुन लिया एवं अच्छा लगा.
Bhai sameer jishukriyaa
अभी दीपक और कुलवंत भाई को सुना बहुत अच्छा लगा। और दीपक भाई की कविता तो बा ही गई। और तो बहुत मोती आपने छोड़ रखे है, जल्द ही आकर बटोरूगाँ।
Shukriya bhai pramendra ji
चश्मे के हारके साथ कानों के कुंडल(हैडफोन विद माइक)अवश्य लें औररूबरू हों मुकुल जी सेजिनसे बातचीत करकेमन कमल खिल जाता हैसच कहूंआजकल तोतकनीक ही विधाता है।
कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !! बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के ! सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!
अभी दीपक मशाल जी को और सुन लिया एवं अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंBhai sameer ji
जवाब देंहटाएंshukriyaa
अभी दीपक और कुलवंत भाई को सुना बहुत अच्छा लगा। और दीपक भाई की कविता तो बा ही गई।
जवाब देंहटाएंऔर तो बहुत मोती आपने छोड़ रखे है, जल्द ही आकर बटोरूगाँ।
Shukriya bhai pramendra ji
जवाब देंहटाएंचश्मे के हार
जवाब देंहटाएंके साथ कानों के कुंडल
(हैडफोन विद माइक)
अवश्य लें और
रूबरू हों मुकुल जी से
जिनसे बातचीत करके
मन कमल खिल जाता है
सच कहूं
आजकल तो
तकनीक ही विधाता है।