बाल कविता:
आन्या गुडिया प्यारी
संजीव 'सलिल'
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*
आन्या गुडिया प्यारी,
सब बच्चों से न्यारी।
गुड्डा जो मन भाया,
उससे हाथ मिलाया।
हटा दिया मम्मी ने,
तब दिल था भर आया ।
आन्या रोई-मचली,
मम्मी थी कुछ पिघली।
नया खिलौना ले लो,
आन्या को समझाया ।
आन्या बात न माने,
मन में जिद थी ठाने ।
लगी बहाने आँसू,
सिर पर गगन उठाया ।
आये नानी-नाना,
किया न कोई बहाना ।
मम्मी को समझाया
गुड्डा वही मंगाया ।
मम्मी ने ले धागा ,
कार में गुड्डा टाँगा ।
आन्या झूमी-नाची,
गुड्डा भी मुस्काया ।
फिर महकी फुलवारी,
आन्या गुडिया प्यारी।
मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
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3 जुल॰ 2010
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SWAGATAM
जवाब देंहटाएंव्बहुत सुन्दर । बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी कविता बिलकुल आन्या गुडिया जेसी
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