6 अप्रैल 2009

संगम जबलपुर में होगा : भाग दो

आपने ये तो बांच ही लिया होगा यहाँ

हम सब
एक कहानी सुनियेगा जी सॉरी पढियेगा पढिये न पढिये छाप देता हूँ । सो सुनिए बवाल जी एक पत्थर था सड़क पर बीचों बीच पडा एक समस्या की तरह । इन चार ने एक के अनुरोध पे सड़क पे पड़े उस पत्थर को हटाने की कोशिश की ताक़त चारों मिल कर लगा तो रहे थे किंतु पत्थर न तो टस हुआ न मस तभी अपनेडूबे जी ने संजू ब्लॉगर जो हमारी बीच के लाबुझ्कड़ से पूछ कर तरकीब सोची पत्तर हटाने की । वो भी ना कामयाब रही आनन् फानन समीर जी मीत के गीत सुनाने निकले कोलकता वहाँ से महाशक्ति को इलाहाबाद में ही न्योत आए की भैया पत्थर हटाना है चलो जबलपुर । सो आ गए भाई जी देखें इस कहानी में कौन सा मोड़ आता है ?
जो भी होगा कल देर रात बांचियेगा तब तक कुछ सोचने दीजिए ।
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सोचा की कोई और अर्थ न निकाले इस गरज से आज ही लिख के किस्सा ख़तम किए देता हूँ सो सुनिए
संजू ब्लॉगर जी के पास सड़क पे खड़े समस्या रूपी पत्थर को हटाने की जब कोई तरकीब न मिली तो अपनी शैली बिटिया ने अजय त्रिपाठी स्टार न्यूज़ वाले भैया जी से पूछा कि :-भैया बताओ इस कैसे हटाएँ ?
अजय त्रिपाठी :- शैली,सुनो ज़रा देखना पत्थर हटाने ये लोग क्या कर रहें है ...?
शैली ने उस जगह का मुआइना कर ख़बर दी :-"भैया... ये सभी, चारों और से पत्थर को ढका रहें हैं.....! बताओ ऐसे कैसे हटेगा पत्थर.....!
अजय:"सही तो है ऐसी कोशिशें नाकाम ही होतीं हैं "
शैली ने सभी को एक ही ओर खडा कर दिया । जोर से पत्थर को फूंकने को कहा । बस फ़िर क्या था पत्थर खिसक गया रुई के फाहे सा सड़क से बाहर.......
यही है "हमसब " की ताक़त कलकत्ता/इलाहाबाद/कानपुर/झांसी/दिल्ल्र्र/रायपुर यानी समूचे भारत की ताक़त

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!