2 नव॰ 2009

ब्रिगेडियर-बवाल की चट-पट

चट:- शैख़ ने मस्जिद बना, मिस्मार बुतख़ाना किया !
पट:- तब तो एक सूरत भी थी, अब साफ़ वीराना किया !!
                                                --- नामालूम

शब्दार्थ:-बुतख़ाना :- मंदिर, मिस्मार :- बर्बाद
 बवाल की इस पहली पोष्ट के लिए उनका हार्दिक आभार "समस्या-पूर्ती" के उदाहरण के साथ आपके लिए ज़रूरी सूचना यह है कि आप सभी का इंतज़ार यहां भी है" काव्य पहेली"
 

6 टिप्‍पणियां:

  1. बात तो मार्के वाली कह गये भाईज़ान
    अल्लाह आपकी सोच को सलामत रखे
    मुल्क के अम्नो अमन में आप का पैगाम
    माइल-स्टोन बने

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  2. बड़ी ऊँची बात कह गये बवाल चट पट में..

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  3. एक सवाल भाई बवाल
    यहां भी पहेली का सवाल? :)

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  4. वाह बावल भाई बहुत खुब, आप ने बात बिल्कुल सही कही...

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!