31 मई 2009

प्रतियोगिता पर आपत्ती आने लगी है

मित्रों सभी जानतें हैं की ब्लागिंग में आजकल क्या हो रहा है विनोद भाव से एक सार्थक लेखन को चित्रित करने की कोशिश को इतना नकारात्मक लिया की मुझे अपनी दौनों पोस्ट हटानी पड़ीं इतनी ज़्यादा नकारात्मकता की उम्मीद मुझे ब्लागिंग जगत से नहीं थी
ये पोस्ट क्रमश:
एक:इन ब्लॉगर जी को पहचानिये और इनाम में पाइए "*मुफ्त-टिप्पणियाँ "
दो:रिजुल्ट आ गया ...... पहचानिये और इनाम में पाइए थीं इसके जो भी अर्थ लगाएं जावें मुझे लग रहा है कि सोच में नकारात्मकता को स्वयं भगवान् भी नहीं मिटा पाए
एक दिन प्रभू विष्णु जी ने लक्ष्मी जी से कहा;-" एक विप्र को जो अमुक देश- भाग का निवासी है उसे संतुष्ट करना मुझे कठिन लग रहा है आप मदद कीजिए ? लक्ष्मी तैयार हो गयीं और फ़िर उस विप्र को इन्द्र से कह कर स्वर्ग के सभी सुख स्वर्ग में सम्मान से लाकर दिए गए .
महालक्ष्मी ने स्वयं बिदाई दी और फीड बैक चाहा ........... विप्र ने कहा : माँ........... इतना भी ठीक नहीं
मित्रों नकारात्मकता की जय है अत: शेष चकाचक अब कोई और फोटो तलाश रहा हूँ

27 मई 2009

प्रतिचिन्तन .

संवेदना संसार:
आलेख में आपने कर्म काण्ड को अनुपयुक्त बताया आज के सन्दर्भ में मानी है किन्तु तत्कालीन परिस्थितियों में कार्यानुसार अर्थ व्यवस्था का आधार रहे हैं ये कर्म काण्ड . इसे जानने-समझाने के लिए बतादूँ कि आप किसी भी क्रिया को देखिए आपको तस्वीर का यह भाग भी दिखेगा. जन्म के समय से मृत्यु तक के संस्कार को कर्मकांड से जोड़ कर एक व्यवस्था को जन्मा भारतीय समाज ने. मृत्यु के 40 दिन तक शोक काल सभी धर्मों में मान्य है 13 दिवस अति महत्व पूर्ण होते हैं , चूंकि समाज का अधिसंख्यक भाग ग्रामीण था सो तदनुसार नियम बने . अब आप शवदाह करने वाले का शमशान घाट में स्नान करना परिवार का सादा रहना सर मुड़वाना आपकी नज़र में गलत हो सकता है किन्तु सच तो यह है कि कर्मकांड के इस उदाहरण में साफ़ तौर पर मृत्यु उपरांत शोक को महत्व दिया है जो मानवीयता से सम्बन्धित तथ्य है.
कभी लगता है भारतीय सामाजिक व्यवस्था में कर्म काण्ड तत्कालीन व्यवस्था के लिए परिहार्य थे .
वर्तमान में भले ही समयातीत हो चुके हैं . मुझे भी कर्मकांड से अरुचि सी है क्योंकि एक पंडित इसे
जिस तरह से प्रस्तुत करता है वो गलत है . इसके सटीक उदाहरण हैं प्रयाग राज के पंडे जो गिरोह बंद होकर
भावुक मन को धर्म के नाम पर ब्लेक-मेल करते हुए क्षतिग्रस्त करतें पावन व्यवस्थाओं को . इसका अर्थ ये कदापि नहीं
की मूल रूप से कर्मकान्ड सदैव गलत है.
ऐसा भी ठीक नहीं हैं कि हम और आप को तत्कालीन कर्मकांडों को यथा रूप स्वीकार ही करना चाहिए . किन्तु कर्मकांड को किस स्वरुप में स्वीकार्यना आप को तय करना है. वास्तव में वैकल्पिक व्यवस्थाओं का मार्ग सदैव कर्म काण्ड में खुला है . यहाँ मैं जयंत चौधरी की टिप्पणी से सहमत हूँ वे कहते हैं :संगीता जी,-सच है...जैसे मेरे पिता जी कहते हैं... हम लोग उन कर्म कांडों के पीछे के अर्थ और कारण से अनजान हैं.
इसका बहुत बड़ा कारण मुसलमान शासकों के द्वारा किया दमन (पंडितों और धार्मिक किताबों का) भी है.
तो कुछ पंडितों के अज्ञान और ज्ञान ना बाटने का भी है..
किन्तु इसका यह अर्थ नहीं की सब बकवास हैं और हमें उन्हें त्याग देना चाहिए!!!
बहुत विचारणीय लेख.
बधाई..
इस आलेख में सब कुछ सार्थक और सटीक लिखा
मैं भी सहमत हूँ शेष आलेख पूर्णतया सहमत हूँ

25 मई 2009

अज़गर नुमां अफसरों की ज़रूरत नहीं है ।

एक दिन एक मित्र ने कहा "भाई,पवन जी तो हमेशा अपना ही रोना रोते हैं "
हम- भाई साहब ,कुछ लोगों की आदत होती है
मित्र-इससे सभी सहकर्मियों का उत्साह कम होता है
हम सभी के बीच ऐसे लोगों की भरमार होती है जो दूसरों से तो अच्छे और सफल काम की अपेक्षा करतें हैं किंतु ख़ुद कुछ करने से बुन्देली बोली में कहूं "जींगर-चोट्टाई" करतें हैं
मेरे मित्र दूसरे मित्र का परम प्रिय वाक्य है "कुछ अज़गर से सीखो अफसरी दिन रात काम करके करोगे तो कोई स्पेशल गिफ्ट दे देगी ये सरकार ?....अरे अजगर कोई काम करता है कभी अरे सब अल्लाह-भगवान-प्रभू पर छोड़ दो अज़गर जैसे । "
अब इस देश को अज़गर नुमां अफसरों की ज़रूरत नहीं हैजो अज़गर नुमां अफसर हैं भी उनको जनता एक पल भी बर्दाश्त नहीं करेगीमित्रों ये तो एक विचार था सो लिख दिया अब आप कुछ नया काम अंतर्जाल पे करना चाहें तो यहाँ क्लिक कीजिए कुछ नया ज़रूर कर पाएंगें ये तय है

23 मई 2009

" तुम साहिल वाले क्या जानो ...."

भाई विनोद कुमार पांडेयजी ,सादर अभिवादनयहाँ टिप्पणी के लिए । भाई एक मित्र ने अलाहाबाद से दोस्ती की हमसे आज बनारस से आप आए । मिलकर खुश हैं हम सभी ।
अंशु तिवारी के सवाल में नए ब्लॉगर का उछाह वहीं समीर जी ने सवाल किया तो मन में जबलईपुर वारो मित्रभाव दिखा . भाई विजय तिवारी इन दिनों बेहद व्यस्त हैं सो आप जान ही गए होंगे सो भाइयो ये वह सूची है जो जिसके सभी ब्लॉगर जबलपुरिया हैं . जब डूबे जी ने इस बात को जाना तो वे ज़हाज़ बनाने का सामान लेने गुरंदी मार्केट निकल पड़े. रहा संजू भैया का सवाल सो वे सदर से लगे केंट इलाके में रह रहे आर्मी आफिसर्स से इस बात की पता साजी के वास्ते निकल पड़े कि जबलपुर में बंदरगाह कैसे बनेगा.दिव्य नर्मदा वाले संजीव सलिल जी ने बताया की बंदर जहाँ भी होंगे अपनी आराम गाह बना लेंगे तब कहीं जाकर संजय तिवारी ’जी माने । साफ़ तौर पर ये तयशुदा है कि "बन्दर-गाह बरगी की उन पहाडियों में आसानी से बन सकतें हैं जहाँ बन्दर बहुतायत में हों "......... हों क्या हजूर हैं ही ।
आज फोन पर शैली बिटिया ने पूछा चिट्ठाजगत के मठाधीश !! कौन हैं और कैसे होते हैं...?
अपन भी लालबुझक्कड से बड़े वाले हैं बोल दिया-बेटे किसी ऐसे व्यक्ति को मठाधीश कहतें हैं जो मठे की दूकान चलातें हैं।
शैली जब संतोष कर लिया । अपने नाटक मंडली - वाले हिमांशु राय की सबसे ताज़ा पोष्ट 6 दिन बासी थी । इनको ईश्वर ने हवा में पोष्ट टांग देने का अनोखा वरदान दिया है तभी तो इनकी पोष्ट शीर्षक-विहीन होतीं हैं ।
"मल्लाहों को इल्जाम न दो तुम साहिल वाले क्या जानो "
ये तूफ़ान कौन उठाता है,ये कश्ती कौन डुबोता है॥ ['हफीज'जालंधरी]

ब्लॉग जो कहने को ब्लॉग हैं

ब्लॉग बन गया हुर्रे ! हिप हिप हुर्रे.....!! या फ़िर यूरेका कहा चीखे और शांत हो लिएनीचे की लिस्ट यही कुछ बयाँ कर रही है जो भी हो "ब्लॉग तो बनाया ?" का ज़वाब मेरे पास नहीं किंतु इस बात की पड़ताल ज़रूर कर रहा हूँ की ब्लॉग को लेकर गंभीर क्यों नहीं हैं हम लोगचलो इस बात को छोड़ भी दें तो इस बात की पड़ताल ज़रूर करनी होगी की हममें से कितने/किस आयु लोग टिकाऊ ब्लॉगर हैं तो देखा गया युवा ब्रिगेड ब्लागिंग के लिए टिकाऊ नहीं हैमध्य आयु के व्यक्ति ब्लागिंग के लिए बेहद टिकाऊ साबित हो रहे हैंनीचे दी गई सूची में हरे रंग को छोड़ कर शेष केवल ब्लॉग बनाने में सफल हुए हैं लिखने में नहीं

1. Prem Farrukhabadi

2. Rohit Prakash

3. chaitanya bhatt

4. arpit661

5. हिमांशु राय॥: इप्टावार्ता हिंदी

6. दिव्य नर्मदा

7. shuchita mudgil

8. rahul_unbound

9. vikassrao

10. mridul singhai

11. Avii

12. Gaurav Bahare

13. VARUN SHAKYA

14. Sanjay Mukerjee

15. ANTRIKSH Shrivastava

16. SRDTHFD

17. Mata Gujri Women's College, Jabalpur

18. VIJAY VISHWAKARMA

19. Ruchika Yadu Jain

20. SIDDHU

21. Himanshu

22. sidharth

23. simbol

24. DEEPANKAR KHANDELWAL

25. Amrit Kaur

26. sandeep sahu

27. sandeep sahu

28. Vikas Gupta

29. Himanshu Singh

30. Rudreshwar Goswamy

31. Vijay Vishwakarma

32. JAGRIT MINOCHA

33. Hirdesh Singh Rajput

34. Ashish Tiwari

35. Avinash Sharma

36. Tsuki Nakajima

37. SHAKTI PRAJAPATI

38. vinay kumar jha

39. Krazzy 4

40. Jona

41. SIDDHARTH SRIVASTAVA

42. Shoumie Mukherjee

43. shreeja

44. Ashish Pathak

45. Soft Space Creation's

46. lucky Dewani

47. NARAYAN GHOSH

48. Ritu Raj Asati

49. animalrights.jbp

50. Indrani Bhattacharjee

51. Indrani bhattacharjee

52. Tribhuwan Kumar Varma

53. saransh jain

54. mathew abraham

55. Ajay Singh Mahobia

56. UMESH SAHU OAZ

57. Saaz Jabalpuri

58. Ajay Tripathi

59. मुझे भी कुछ कहना है

60. Ajeet Golani

61. bharat singh

62. ANAND BASU

63. Devanshu

64. Azad Sikander

65. Prashant Singh

66. Ankur Rajvanshi

67. rashmiray

68. THE ONE & ONLY >>> J ! M C A R R Y

69. grace

70. Ankit Sahu

71. nitin

72. टोटल रिलेक्स

73. Stephan Charles

74. Sanjay Umre

75. Rajul Dubey

76. LOKENDRA GAUR

77. Eddy

78. ...

79. Kartik Iyer (Blog Author)

80. FREEDOM OF EXPRESSION

81. Mohit Jha

82. Preet

83. ®Jē$ĦW® MìΠì

84. ShWeTa JaIn

85. चक्रेश सूर्या "सूफी"

86. Nick

87. Indu Mishra

88. Niral DMello

89. Hemant Sharma

90. Aditya Solomon

91. Anurag Singh

92. grace

93. Anshul singh.....!!!!

94. Abhijeet Sarkar

95. Serjesh Sharma

96. Prabeen Kund

97. Ankit Chouksey

98. Summitsingh Thakur

99. infotechdev

100.kamlesh

101.Prem Farrukhabadi

102.vikky

103.koushikindian99

104.Alok

105.AACHARY BHAGWAT DUBEY

106.SIKANDAR

107.sumit dubey

108.PANKAJ AGRAWAL

109.Abhishek Dubey

110.sanjay soni

111.kartikshyam

112.Gaurav

113.Kshitij Sharma

114.Nitin

115.mohammad shahid ali

116.Navin David

117.Ashwin nayak

118.net rockers

119.MAYANK RAJ

120.sarwanjeet singh

121.Saurabh Pandey

122.sankalp nagar

123.vikas kumar chouksey

124.Parag Agrawal

125.ANKUR KHARE

126.Divy

127.Lover Of Srk

128.Rochan Rocks

129.SHRI SAI ENTERPRISES

130.@bhishek

131.sumit tomar

132.Vikas Gupta

133.Gee Nema

134.sunil mishra

135.dipanker

136.Achin

137.venkatesh janakiraman

138.S R

139.AKHIL GUPTA

140.Clix Sense.Com

141.prakash tulsani

142.DJ

143.Giby George

144.Divya Lall

145.Akshay Dubey

146.EvIL tHe DeVil

147.naresh

148.Navin Samuel David

149.Vishal Bhasin

150.gpats

151.Ashwin

152.Priyankk Mehta

153.ajay tripathi

154.disorientedtracer

155.siddharth

156.Imran

157.vikram pawar

158.Serious Hackers Inside

159.SUNIL SHRIVASTAVA

160.ROHAN RAJ

161.Nishant Stephen

162.Aravind

163.Kartik Speaks

164.Kalpesh

165.Edwin Pinto

166.Arnab Mukherjee

167.Ashutosh गुप्ता






21 मई 2009

सरहदे अक्ल से गुज़रे तो यहाँ तक पहुंचे "

बिस्मिल आशिक की आर्त पुकार को "हफ़ीज़" जालंधरी ने बड़ी संजीदा सलाह देकर शांत कराया

क्यों हिज्र के शिकवे करता है ,क्या दर्द के रोने रोता है
अब इश्क किया तो सब्र भी कर,इस में तो यही कुछ होता है
तभी हफ़ीज़ जो होशियारपुर से आए आते ही फलसफा दिया उस आशिक को
"तेरी मंजिल पे पहुँचना कोई आसान न था
सरहदे अक्ल से गुज़रे तो यहाँ तक पहुंचे "
इन हफीजों के बीच "राज़"- "अपनी....?" समस्या लेकर आए
क्या बात थी कि जो भी सूना अनसुना हुआ
दिल के नगर में शोर था कैसा मचा हुआ
शोर से अपना कोई नाता न था बताने आए अब्दुल हमीद 'अदम' ने राज़ साहब के दिल में मचे में अपना हाथ होने से साफ़ साफ़ इनकार कुछ यूं किया
मयक़दा था चांदनी थी मैं न था : इक मुजस्सम बेखुदी थी मैं न था ।
तमाम दुनियाई बातों से उकताए भरे "ज़हीर" काश्मीरी बोल उठे
कितने ही इंकलाब शिकन दर शिकन मिले
आज अपनी शक्ल देख मैं दंग रह गया ।
शिकेब ज़लाली तैश में थे दुनियाँवी हरकतों से कुछ नाराज़ लगे किस्मत की लकीरों का खात्मा करने बज़िद -
मैं हाथ की लकीरें मिटाने पे हूँ बज़िद : गो जानता हूँ नक्श नहीं ये सलेट के
यह मुशायरा देर तक चलता अगरचे मुझे चलिए छोडिए मुशायरे मुसलसल जारी हैंमेरी गुज़ारिश है कि "मुशायरों में कहे जाने वाले कलाम मुकम्मल तब होते हैं जब कि सोच में सकारात्मक परिवर्तन हो "पर यह हो पाएगा कारण साफ़ है कि हमने अक्ल की सरहदें पार कर लीं हैं

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गूगल बाबा की झोली से फोटो उठाएं है किसी भी आपत्ति का स्वागत होगा मौन स्वीकृति के लिए अग्रिम आभार