21 अग॰ 2009

नवाचार : तुलसी-वन:निरोगी जीवन


तुलसी वन लगाने का अभियान शुरु किया गया है. शायद इस प्रयोग में सफ़लता मिले.

मेरी सहयोगी श्रीमति मीना बडकुल एवम श्रीमति सुषमा माण्डे की दिमागी उपज जिनने एक प्रस्ताव रखा कुछ यूं मेरे समक्ष

तुलसी-वन:निरोगी जीवन

सम्भागीय आयुक्त जबलपुर अपेक्षा थी कि मंगल-दिवस पर जन्म-दिवस के अवसर पर वृक्षारोपण का कार्य किया जाए इस हेतु वृक्षों एवम ट्री गार्ड की व्यवस्था आंगनवाडी कार्यकताओं के लिए कठिन है . अत: परियोजना-क्षेत्र में "तुलसी-वन:निरोगी जीवन"कार्यक्रम की निम्नानुसार क्रियान्वित किया जाना प्रस्तावित है.

उदयेश्य:-

· केन्द्रों के आसपास आक्सीजन की निरंतर आपूर्ति करने वाले पौधों का रोपण

· जन्म-दिवस के अवसर पर बच्चे से वृक्षारोपण अराने हेतु आसानी से पौधे/पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित

· आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को "सीमित-साधनों में कार्य करने हेतु सहज विकल्पों के अनुप्रयोगों का अभ्यास कराना


· मंगल-दिवस पर जन्म-दिवस के अवसर पर वृक्षारोपण की सुनिश्चितता करना
क्रियान्वयन:-
· परियोजना-क्षेत्र में "तुलसी-वन" उन केन्द्रों में विकसित किये जावेंगे जहां शासकीय-भवन उपलब्ध हैं तथा पानी एवम सुरक्षा के साधन जैसे बाउन्ड्री-वाल, हो
· एक मीटर गुणा एक मीटर क्षेत्रफल वाला स्थान चिन्हित कर कार्यकर्ता तुलसी के बीज जिसे आम बोल चाल में मंजर कहा जाता है लगा देंगी.
· अंकुरित पौधों का रोपण जन्म-दिवस के अवसर जन्म-दिवस के दिन बच्चे के घर में कराया जावेगा ताकि अभिभावक उसकी देखभाल करें.
स्वास्थ्य-दृष्टि से महत्वपूर्ण एवम बहु उपयोगी तुलसी-पौधों का रोपण नुकसानदेह मौसमी पौधों के प्रसार को रोकने में सहायक होंगे महोदय उपरोक्त कार्यक्रम को प्रयोग के तौर पर श्रीमति सुषमा माण्डे द्वारा उक्त कार्यक्रम के लिए स्वेच्छा से ग्राम घाना में तुलसी-वन विकसित करना प्रस्तावित किया है
अपनी सहयोगी श्रीमति सुषमा माण्डे श्रीमति मीना बडकुल के प्रति हार्दिक आभार शायद नहीं सफलता मिलेगी ही

15 अग॰ 2009

वंदे मातरम






जबलपुर रत्न एक नई परंपरा



यूँ भेजा था न्योता
अपने जबलपुर को


विश्वास की परंपरा को कायम रखने का संकल्प लिए नई दुनिया">नई दुनिया ने जब रत्नों की तलाश शुरू की थी तो लगा था कि शायद व्यावसायिक प्रतिष्ठान द्वारा की गई कोई शुरुआत जैसी बात होगी ? किंतु जब जूरी ने रत्नों को जनमत के लिए सामने रखा तो लगा नहीं कुछ नया है जिसे सराहा जावेगा आगे चल कर , हुआ भी वही आज मैं जितने लोगों से मिला सबने कहा :"वाह ऐसी व्यक्ति-पूजा विहीन मूल्यांकन की परम्परा ही है विश्वास की परंपरा ओर सम्मानित हुए विशेष सम्मान शिक्षा क्षेत्र : एसपी कोष्टा उद्योग क्षेत्र : सिद्धार्थ पटेल चिकित्सा क्षेत्र : डॉ. सतीश पांडे न्याय क्षेत्र : अधिवक्ता आरएन सिंह पर्यावरण क्षेत्र : योगेश गनोरे
छा गए मंत्री जी भा गए बल्लू
करीब पांच घंटे तक चले आयोजन के दौरान लोगों का मनोरंजन करने के लिए प्रख्यात बाँसुरी वादक बलजिंदर सिंह बल्लू, पॉलीडोर आर्केस्टा के कलाकारों सहित प्रियंका श्रीवास्तव, प्रसन्न श्रीवास्तव, श्रेया तिवारी ने शानदार रचनाएं पेश कर लोगों को मुग्ध कर दिया।बलजिंदर सिंह ने जब बांसुरी से "तू ही रे" और "पंख होते तो उ़ड़ जाती रे" की तान छे़ड़ी तो मेरे मन को किसी भी तरह की बाहरी हलचल बर्दाश्त नहीं हो रही उद्योगमंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने साबित कर दिया कि वे वास्तव में एक स्थापित कलाकार हैं । मंत्रीजी ने देशभक्ति गीत "कर चले हम फिदा जानो तन साथियों" "छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल" पेश किया। प्रियंका के गीत "बलमा खुली हवा में" से लोग सावन के भीने अहसास में खो गए। जबकि प्रसन्न श्रीवास्तव ने "मेरे महबूब कयामत होगी" सुनाकर लोगों को किशोर कुमार की याद ताजा करा दी।
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संस्कारधानी के सपूत न्यायविदों की वर्तमान पी़ढ़ी के लिए ऋषितुल्य न्यायमूर्ति जीपी सिंह को पहला "जबलपुर रत्न" सम्मान आज़ सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय रहा नई दुनिया ने इन विभूति का सम्मान कर विश्वास की परम्परा को कायम रखा
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तरंग प्रेक्षागृह में गुरुवार शाम एक गरिमामय समारोह में जबलपुर रत्न सहित साहित्य-कला, शिक्षा, चिकित्सा, न्याय, समाजसेवा, पर्यावरण, उद्योग, खेल क्षेत्रों की नौ हस्तियों को रत्न सम्मान दिया गया जिनमें । समारोह की अध्यक्षता मप्र उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश जस्टिस आरएस गर्ग ने की, मुख्य अतिथि निर्माता-निर्देशक सुभाष घई थे। इस मौके पर बतौर अतिथि संगीतकार आदेश श्रीवास्तव और निर्देशक विवेक शर्मा के अलावा नईदुनिया समूह के प्रधान संपादक पद्मश्री आलोक मेहता भी विशेष रूप से उपस्थित थे। रूपरेखा की विस्तृत जानकारी स्थानीय संपादक आनंद पांडे ने दी। कार्यक्रम को संगीतकार आदेश श्रीवास्तव और निर्देशक विवेक शर्मा ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप दुबे व सुरेंद्र दुबे "(सव्यसाची अलंकरण से अलंकृत) "ने किया। अंत में आभार प्रदर्शन महाप्रबंधक मनीष मिश्रा ने किया।
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संस्कार धानी जबलपुर के नौ रत्न
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जबलपुर के रत्न : साहित्य-डा०चित्रा चतुर्वेदी/कला-अरुण पांडे/समाज-सेवा: पुष्पा बेरी/खेल-रत्न :मधु यादव/शिक्षा रत्न : ईश्वरी प्रसाद तिवारी/उद्योग-रत्न:वी एन दुबे /चिकित्सा-रत्न:डा0 एम सी० डाबर/न्याय-रत्न :एस सी दत्त/पर्यावरण रत्न: नरसिंह रंगा
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सुभाष घई ने कहा : "बच्चों के मामले सही सोच की ज़रूरत है उनकी प्रतिभा को पहचानिये /आजाद भारत में अंग्रेजियत की सेवा पर टिप्पणी करते हुए सुभाष घई ने कहा गुलामी के दौर में हमने उनकी सेवा की आज पश्चिमी संस्कृति की नक़ल कर उनकी सेवा कर रहें हैं "/अपार संभावनाएं है रजत पट पर प्रतिभाओं की मया नगरी को हमेशा ज़रूरत थी , है और रहेगी ।
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आलेख : गिरीश बिल्लोरे मुकुल / सहयोग श्रीमती सुलभा बिल्लोरे /राजेश दुबे "डूबे जी" एवं शैली खत्री

14 अग॰ 2009

ब्लॉगर कोई बच्चा थोड़े है

[sangeeta+puri.jpg]
भाई प्रवीण जाखड़ जी की पोस्ट ऐसी पोस्ट है जिसका निशाना कई दिशाओं में साधा है। आज जन्माष्टमी के पहले आई इस पोस्ट ने हिन्दी ब्लागिंग के उस चेहरे से परिचित कराने की कोशिश की है जिसकी कल्पना तो ब्लॉगर और ही किसी टिप्पणी कार ने की होगी
जाखड जी उपरोक्त टिप्पणी के सन्दर्भ में लिखतें है "संगीता जी, कहां से बांटेंगे ज्ञान? आप उन्हें ज्ञान के रूप में कॉपी-पेस्ट टिप्पणियां जो सिखा रही हैं। वो भी यही ज्ञान बांटेंगे। संगीता जी की टिप्पणी कॉपी करेंगे और चिपका देंगे, किसी नए नवेले ब्लॉगर को। मुर्गा समझ कर! अगर समय नहीं मिलता है, आप कम ब्लॉग्स पर जाओ। लेकिन बेचारों की वाट तो मत लगाओ। नए-नए हैं, उन्हें संस्कार तो दो कि कुछ लिखें। घर का बड़ा दारू पीएगा, सिगरेट पीएगा, आवारागर्दी करेगा, तो घर के बच्चे भी यही करेंगे। गलत कह रहा हंू, तो झांक कर देख लीजिए अपने अड़ोस-पड़ोस। आप, हम कॉपी-पेस्ट चिपकाएंगे। ...तो नए ब्लॉगर क्या संस्कार लेंगे। कॉपी करो और पेस्ट चेप दो। हो गई ब्लॉगिंग। लग गई वाट।"
यानी कुल मिला कर ब्लॉग का लेखक चाहता है की उसके विचार को लोग गंभीरता से जाने टिप्पणी कर उसे बच्चा समझें यह किसी हद तक सही भी है की अगर किसी ने इस माध्यम (ब्लॉग ) का अभी अभी प्रयोग शुरू किया है सो वो विचार वान नहीं है .....?
उपरोक्त विचार अपनी जगह सही है तो संगीता पुरी जी का ज़वाब भी अपनी जगह साफ़ है "बहुत मेहनत की है आपने इस पोस्‍ट को लिखने में .. नियमित ब्‍लागरों के पोस्‍टों पर मैं विमर्श अवश्‍य करती हूं .. पर नए ब्‍लोगरों के लिए मेरे मन में अलग भावना है .. आप मुझे एक बात बताएं .. आपके घर में कोई फंक्‍शन हो .. और बहुत सारे लोगों को आप बुला रहे हो .. तो उनका स्‍वागत करते समय आप उनका रंग रूप , पद , पैसा और सम्‍मान देखेंगे या फिर एक जैसा स्‍वागत करेंगे .. पहले उनका स्‍वागत करके उन्‍हे स्‍थान तो दे दें .. फिर जो भी गुण दोष निकालना हो .. सुझाव देना हो .. विचारों से सहमति असहमति हो .. बाद में फैसला होता रहेगा .. आजतक मैने अपने ब्‍लाग का लिंक कहीं कभी नहीं दिया है .. जबकि मैं जानती हूं कि मेरे 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' का प्रचार प्रसार दुनिया के लिए बहुत आवश्‍यक है ..अब यदि नए ब्‍लोगरों का उत्‍साह बढाने के लिए मैं जो स्‍वागत भरे शब्‍द कट पेस्‍ट करती हूं .. उसमें में भी आपको आपत्ति हो तो मैं इसे बंद कर देती हूं .. आप मेरे ईमेल में भी यह बात कह सकते थे .. पर आप ईमानदारी से बताएं .. क्‍या इस पोस्‍ट लिखने के पीछे आपकी मंशा भी टी आर पी बढाने की नहीं थी ?"
वास्तव में मेरी राय में दौनों ही अपनी-अपनी जगह सही हैं कोई ग़लत नहीं ग़लत तो है ब्लागिंग में ग्रुपिज्म का कांसेप्ट। जिसके तहत आपसी पीठ खुजाई विधा को बढावा दिया जा रहा हो ..... ब्लागर्स आभासी दुनियाँ में भी खेमेबाजी और स्वयम्भू एच डी बनने की कोशिश लगें हैं ब्लॉगर ब्लॉगर है यह सभी को समझना ज़रूरी है किसी को अपने नए होने की घबराहट और पुराने होने से ज्ञान वान /सर्वज्ञ बुजुर्गियत से लबालब होने का गुरूर नहीं होना चाहिए .आप अनाधिकृत रूप से नए प्रवेशी ब्लॉगर को टिप्पणी का दाना दाल कर आकर्षित करने अथवा आपको मेरी खुले तौर पर सलाह है । उधर नए ब्लागर्स को बता देना चाहता हूँ कि टिप्पणी-लोलुप न बनते हुए सृजन-शीलता को जारी रखें यही अंतरजाल में स्थाई होगा . टिप्पणियों को लेकर चिंता करें केवल लेखन करें टिप्पणीयों का लोभ न करें । अधिक टिप्पणी पाने की लालच में विषयवस्तु की वाट ज़रूर लग जाती है।

11 अग॰ 2009

विश्व का वास्तविक संगीत

वो
दिव्य चक्षु
नर्मदा तट पर
जब
बिखेरता है
एकतारे की तान !!
स्तब्ध हो जातीं हैं
मन में प्रवाहित वेदनाएं
रुक जातीं थीं
पथचारी की बे परवाह कुंठाएं !!
लौटतीं हैं जब एक तारे की तान
भेडाघाट की संग-ए-मरमर टकरा कर
तब लगता है साक्षात अध्यात्म और सुकून कहीं और नहीं
"यहीं है हाँ यहीं है "

8 अग॰ 2009

रत्नगर्भा : मध्य प्रदेश लेखिका संघ की सफल कोशिश


संस्कारधानी की महिला रचना धर्मियों का संक्षिप्त परिचय रत्नगर्भा से आभार सहित प्राप्त कर प्रस्तुत है













7 अग॰ 2009

शोक समाचार

ख्यातिलब्ध कवि रचनाधर्मी विजय शंकर चतुर्वेदी के साले साहब का जबलपुर में सड़क हादसे में दु:खद निधन हो गया है।
"दुखी परिजनों को ईश्वर इस महाशोक के सहने की शक्ति "
एवं
दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करे
शान्ति शान्ति शान्ति
chaturvedi_3@hotmail.com दूरभाष :09324298021


6 अग॰ 2009

भेज दो लिख कर ही प्रेम संदेश



तुम जो रूठ जाती हो मुझसे
डेरों शिकायतों के पुलिंदे खोल देतीं हो
हाँ तब मुझे यकीन हो जाता है तुम सिर्फ़ मेरी प्रिया हो
तुम्हारा अपना चिंतन मुझमें क्या खोज रहा है
अनजान हूँ
जब तब की तुम्हारी उग्रता
अक्सर मुझे संकेत देती है
मैं शायद तुम्हें कुछ पलों के लिए बिसर गया
प्रिया
इस रूठी
भुनभुनाई
आंसू बहाती

तुम जब मेरी आर्त-ध्वनियाँ सुनती हो तब
तुम्हारा मेरे पास आ सहज हो बैठना
मुझे रास आता है
अब खुल के कह दो की तुम ही मुझे प्रीत रंग
से भिगो देने वाली हो
ये बार बार का रूठना
सुकोमल मन को घायल करता है
मुझे आता है पहल करना
प्रीत का अनुनाद मन के विस्तृत आकाश में भरना
परन्तु प्रिया अनुशासन मेरे स्वरों को रोकता है
पहल तुम्हें ही करनी है
भेजना है प्रेम का प्रथम संकेत
सच है न कोई भी पुरूष सर्वप्रथम कभी नहीं खोलता मन के भेद
भेज दो लिख कर ही
प्रेम संदेश