31 मार्च 2009

एक ख़त प्रशांत जी के नाम


पंडित जी , श्रीयुत ईश्वरदास जी रोहाणी , श्रीमती रोहाणी
p ये अनुशासित जन
प्रिय मित्र प्रशांत कौरव जी
मित्र के उपरोक्त मेल से प्रभावित तो हूँ किन्तु आपको याद होगा की उस दिन जब मन हताश उदास सा था नितिन,आप और योगेश के कारण संबल मिला . जिससे आयोजन का स्थगन टल गया था. वरना टल जाता और हजारों निगाहें मुझे घूरतीं सैकडों हाथों की शरारती अंगुली मुझे तंज़ करती इंगित कर औरौं को बतातीं की जी ये हैं "फ्लॉप एंड फ्रॉड" किन्तु ईश्वरीय प्रेरणा से आप सब आए आगे मुझे सम्हालनें मैं था ही नहीं वहां वहां थे आप जिनने मेरे लिए बुने थे सपन कुछ मेरे सपने भी थे जिनको आपने ही तो रंग-रोगन कर सजीला बना दिया था ... सभी तो मेरी जीत चाह रहे थे सभी बाबा का काम कर रहे थे . सभी ने मुझे जिताया ! याद होगी उस एकल नाट्य "सुसाईटनोट "की प्रस्तुति का दिन जो भी हुआ तरंग प्रेक्षागार वो भी था खचाखच मैं आपकी सफलता से उतना ही रसीला हो गया था जितना नहीं उससे भी अधिक परिमाण आप सब . मुझे आज स्नेह दे रहें हैं ...अन्दर की बात ये है की "मैं तो 08 मार्च 2009 तक हारा बैठा था "चार दिन में कोई विजय हासिल कर सकता है नहीं कभी नहीं बस विजय के पीछे जो था उसे चमत्कार कहतें हैं जिसे आपने भी तो महसूस किया था . आप को नहीं लगा सारा काम साईनाथ महाराज कर रहे थे . सव्यसाची थी उनकी दुआऐं थी आभास ने बताया "चचा .... आज का शो सबसे बेहतर था " और आज ही संजय का फोन था उसने बताया:-"भैया जब आप मंच से बोल रहे थे दादा रोहाणी सहित कई आँखें नम थीं " मुझे याद नहीं मैंने क्या बोला था बोल कोई और रहा मानो मेरे मन में बैठकर मुझे तो तीन मिनट का भाषण देना था सब भूल गया मंच पर जाते ही. जो उस दिन मेरे ह्रदय में था वो "साईं" के अलावा कोई था .

प्रशांत ने कहा है

prashant kouraw
को GIRISH BILLORE
दिनांक ३० मार्च २००९ २१:१६
विषय बावरे फकीरा नहीं इतिहास
इसके द्वारा मेल किया गया gmail.com

जानकारी छिपाएँ २१:१६ (14 घंटों पहले)


उत्तर दें


गिरीश भाई
कल मुझसे मेरे एक मित्र ने कहा I कुछ एसा... जो हम सभी आत्म अभिमानं के नाम पर कई बार कह सुन चुके है I वो ये की भाई जिसने जबलपुर को त्याग दिया उसका जीवन कुछ दूसरा ही हो गया समझने वाली बात है मिसाले वही पुरानी मसलन ओशो महर्षि महेश योगी शरद यादव वगेरा ..........
सवाल ये भी है की अब हमने अपने जागने से भी समझौता कर लिया है अपने शहर को हम गोया इसे देखते है जैसे किसी तांत्रिक का अभिशाप हो यदि कुछ बेहतर हो रहा है तो वो बाहर है व हमारे अलावा कोई दूसरा ही कर रहा है इस नपुंसकता का निर्लज्ज प्रदर्शन कई बार देखने सुनने मिलता है यदि कही पैसा है तो वो इंदौर या भोपाल में है यदि कही प्रतिभा है तो वो दुसरे नगरो में है ......यानि न हमारे पास कुछ है न हो सकता है इस अभिशप्त सोच के बाहर कब आ सकेंगे हम ?बावरे फकीरा को जो आयाम आपने दिया उससे जो हाज़मे ख़राब हुए उन पर अटके मत रहिये .कोसने एवं निंदा करने की जबलपुर की शक्ति को अनदेखा मत करिए .लोगो को स्वीकारना सहज नहीं होगा की आपने जबलपुर जेसी कथित छोटी जगह में बड़ा काम कर दिया है ........मानिये तो सही आपने बावरे फकीरा नहीं इतिहास रचा है

30 मार्च 2009

अर्चना का वक़्त है आ बातियाँ सुधार लें..!!


आ मीत लौट चलें गीत को सवाँर ले
अर्चना का वक़्त है आ बातियाँ सुधार लें
********************
भूल हो गयी अगर गीत में या छंद में
जुट जाएं मीत आ सुधार के प्रबंध में
कोई रूठा हो अगर तो प्रेम से पुकार लें
आ मीत .................................!!
********************
कौन जाने कुंठित मन कितने घर जलाएगा
कौन जाने मन का दंभ- "कितने गुल खिलाएगा..?"
प्रेमकलश रीता तो, चल कहीं उधार लें ..!!
आ मीत .................................!!
********************
आत्म-मुग्धता का दौर,शिखर के वास्ते ये दौड़
न कहीं सुकून है,न मिला किसी को ठौर
शंख फ़िर कभी मीत आ हाथ में सितार लें ॥!
आ मीत .................................!!
********************

29 मार्च 2009

इस आभासी फलक पे आपका विश्वास कैसा..?


मत्स्य गंधी होके जल से आपको एतराज़ कैसा
इस आभासी फलक पे आपका विश्वास कैसा..?
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
पता था की धूप में होगा निकलना ,
स्वेद कण का भाल पे सर सर फिसलना
साथ छाजल लेके निकले, सर पे साफा बाँधके
खोज है मत रोकिये इस खोज में मधुमास क्या बैसाख कैसा ?
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
ओ अनुज तुम बाड़ियों में शूल के बिरवे न रोपो
तुम सही हो इस-सत्य को कसौटी पे कसो सोचो
वरना कुंठा के तले , शक्ति का उपवास कैसा ...?
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

28 मार्च 2009

परसाई ,ठाकुर दादा,के शहर में व्यंग्य की परिभाषा तलाशती खोपडियां


सुना है इन दिनों शहर व्यंग्य की सही और सटीक परिभाषा में उलझा हुआ है।
बवाल जी ने फोन पे पूछा - भैया ये सटायर की कोई नई परभाषा हो गई है क्या ?
अपन तो हिन्दी और साहित्य की ए बी सी डी नहीं जानते न ही ब्लागिंग की समझ है अपन में , न ही अपनी किसी ब्लागिंग के पुरोधा से ही गिलास-मंग्घे स्तर तक पहंच हैं जो कि उनकी बात का ज़बाव दे सकें सो अपन ने कहा भाई आप तो अपने बीच के लाल बुझक्कड़ हैं उनसे पूछा जाए ।
तभी हमने सड़क पर एक बैसाख नन्दन का दूसरे बैसाख नन्दन का वार्तालाप सुना {आपको समझ में नहीं आएगी उनकी आपसी चर्चा क्योंकि अपने भाई बन्दों की भाषा हम ही समझ सकतें हैं ।} आप सुनना चाहतें हैं..........?
सो बताए देता हूँ हूँ भाई लोग क्या बतिया रहे थे :
पहला :-भाई ,तुम्हारे मालिक ने ब्राड-बैन्ड ले लिया ..?
दूजा :- हाँ, कहता है कि इससे उसके बच्चे तरक्की करेंगें ?
पहला :-कैसे ,
दूजा :- जैसे हम लोग निरंतर तरक्की कर रहे हैं
पहला :-अच्छा,अपनी जैसी तरक्की
दूजा :- हाँ भाई वैसी ही ,उससे भी आगे
पहला :-यानी कि इस बार अपने को
दूजा :-अरे भाई आगे मत पूछना सब गड़बड़ हो जाएगा
पहला :-सो क्या तरक्की हुई तुम्हारे मालिक की
दूजा :- हाँ,हुई न अब वो मुझसे नहीं इंटरनेट के ज़रिए दूर तक के अपने भाई बन्दों से बात करता है। सुना हैकि वो परसाई जी से भी महान हो ने जा रहा है आजकल विश्व को व्यंग्य क्या है हास्य कहाँ है,ब्लॉग किसे कहतें हैं बता रहा है।
पहला :-कुछ समझ रहा हूँ किंतु इस में तरक्की की क्या बात हुई ?
दूजा :- तुम भी, रहे निरे इंसान के इंसान .........!!

27 मार्च 2009

जबलपुर के ब्लागर's : लिंकात्मक परिचय

इन दिनों जबलपुर का मौसम ब्लागिया होता जा रहा है. जिन लोगो की सूची यहाँ है उसके अलावा भी ब्लॉगर जी होंगे मुझे जानकारी है कुछ ज्ञात कुछ विख्यात भी जिनके नाम इधर छपे हैं उनके लिए सादर आग्रह का ट्रक भेज दिया है की वे सभी लोग नियमित रूप से भले दस लाइन लिखे लिखें ज़रूर नहीं तो नूह की नौका डोल जाएगी .

· !! लाल और बवाल --- जुगलबन...

· aahuti · baar-baardekho

· girish billore - Google Blo...

· Manish4all

· nitin's Blogs

· SRIJAN

· उड़न तश्तरी ....

· डूबेजी

· बुन्देली-राज़

· मिसफिट Misfit,மிச்பிட்,మిస్...

· शब्द विहंग

· सव्यसाची

· हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर

· मेरे मुहल्ले का नुक्कड़

· Meri Rachnaye-Prem Farrukha...

· विवेक रंजन श्रीवास्तव ,

·आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'!!,

ब्लागिंग को ऐसो नसा भए सब लबरा मौन

पत्नी से पूँछें पति -'हम आपके कौन ?'

जो लिखे उसका भला जो न लिखे उसका भी भला


26 मार्च 2009

मेरी और से उसके सौन्दर्य की तारीफ़ ज़रूर का देना... !!



नूह की नौका के जात्री

नौका जो यहाँ चलती है

जहाँ एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ पे कूदते थे बन्दर
अब बेचारे शांत भाव से बरगी डेम का नज़ारा करतें है

हर तरफ से वज़नदार पोस्ट आ रहीं है,उधर अजय त्रिपाठी इधर विजय तिवारी और भाई डूबे जी क्या कहने....!विवेक रंजन श्रीवास्तव ,आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'!!,

बवाल भाई जान मुझे लगता है ये घने नहीं बज रहे हैं , इनसे निकले सुरों में गाम्भीर्य का पुट है। यानी सबके सब जबलपुर का नाम ........... खैर छोडिए ज़्यादा कहूँगा तो स्तीफा दे देने तक की नौबत आ जाती है ..... धुरंधर लिक्खाड़ में शुमार नूह की बनाई नाव पे बिराजे ब्लॉगर एन धुँआधार में नौकायन को उतारू हैं .......... अब तो आनंद ही आनंद हवे भाई।

ब्लॉग की चर्चा हो और भाई लाल साहब की चर्चा न करुँ हो इच्च नई सकता bहाई वो तो नहीं कई और हैं जो उनके नाम से लाल--पी...ले..... हो जाएंगे तो अपुन न तो यथा के रहेंगे न ही तथा के ,,,,,,,,?

इधर अपने राम का गुसल खाने से निकलना हुआ था की बरसात आ गई ..बावरे फकीरा लांच.. से फारिग होते ही वायरल की ज़कड़न और फ़िर लोकसभा चुनाव फ़िर 23अप्रेल 2009,से मैजिक ट्रेन लाइफ लाइन के लिए एडवांस तैनाती यानी इतनी गंभीर पोस्ट लिखने का मौका कम ही मिलेगा जितनी गंभीर पोस्ट उपरोक्त मित्रों ने लिखी है . सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

आप सोच रहे होंगे की इस पोस्ट में सुन्दरी का चित्र.........?

सोचते रहिए अगर मिल जाए कहीं तो मेरी और से उसके सौन्दर्य की तारीफ़ ज़रूर का देना... सच कितनी सुंदर कल्पना है चित्र कार की कितना सुंदर देख लेते हैं चित्रकार लोग है न ...?


25 मार्च 2009

अजय त्रिपाठी भी आ चुकें हैं

जबलपुर के मीडिया कर्मी,कवि,कहानीकार,लेखक,समाजसेवी,कमोबेश हर फील्ड से लोग रहे हैं ब्लॉगर बनने आएं क्यों अभिव्यक्ति की इस विधा का महत्त्व समझते हैं अजय त्रिपाठी जैसे रचनाधर्मी के ब्लॉग का नाम है :"मेरे मुहल्ले का नुक्कड़" शीर्षक से ही प्रभाव छोड़ते इस ब्लॉग से हमें बहुत उम्मीद हैं
अशेष शुभाकानाओं सहित
मेरे मुहल्ले का नुक्कड़:http://jabalpurmedia.blogspot.com/


24 मार्च 2009

एक पेड़ का तबादला : देशकाल पर अजय त्रिपाठी की रपट

http://www.deshkaal.com/Details.aspx?nid=2132009112357793

पर सम्पूर्ण कथात्मक आलेख मौजूद है देशकाल और आलेखन के लिए "अजय भाई"को जितना साधुवाद कहूं कम ही होगा

धन्यवाद मनुष्य अजय त्रिपाठी-

मैं एक पीपल का दरख्त हूँ.लोग मुझे एक सौ पचास साल का बूढा बता रहे है.लेकिन सच कहूं तो मुझे भी मेरी सही उम्र नहीं मालूम क्योंकि हमारी दुनिया में मिनट, घंटे, दिन, हफ्ते और साल का कोई गणित आज तक नहीं बन सका है.मैं आजकल बड़ा इठला रहा हूँ.और कह रहा हूँ धन्यवाद मनुष्य.तूने अपनी सांसों का कर्ज उतार दिया है.एक दरख्त मनुष्य का धन्यवाद करे, ये बात बड़ी अटपटी लगती है लेकिन जब मैं आपको पूरी कहानी बताऊंगा तो आप भी कहेंगे कि मनुष्यों ने वाकई काबिले-तारीफ काम किया है.
मेरा ठिकाना जबलपुर के करमचंद चौक पर हुआ करता था…………….

आगे के बांचने के लिए यहाँ http://www.deshkaal.com जाइए

या बस यहाँ एक चटका और क्या.............!!



नयनन बसी नैनो ......!!


चार पहिए का सुख कौन नहीं भोगना चाहता , टाटा" की नज़र की जिन ऊँचाइयों पर थी उसे समझा नरेंद्र मोदी ने

ममता जी की सोच में जो भी था उससे ममता जी ही जाने किंतु तय है की आज के सबसे बुद्धिमान व्यक्तित्व के धनी साबित हुए हैं नरेंद्र मोदी जी । पश्चिम बंगाल के बारे में आने वाले दिनों में बच्चे आज का वृत्तांत बांच रहें होंगे तब ममता जी का स्मरण कैसे करेंगे आप अंदाजा लगा सकतें है ।

बहरहाल मुझे तो चिंता है की बुकिंग सही समय पर कर पाता हूँ की नहीं इलेक्शन की ड्यूटी बजाते बजाते देर न हो जाए ............... तब तक आप सुधि जन सोचिए

"नकारात्मक उर्जा से पीड़ियों को सकारात्मक संदेश कभी नहीं दिए जा सकते जब चरखा ज़रूरी था तब चरखा जब स्पात ज़रूरी हो तो स्पात जब कम्प्युटर तब कम्प्युटर तो बताइये कौन सोचता है जनता के बारे में सही ?"

विकास का विरोध किस हद तक हो कैसा हो इस बात की समझ से देश का विकास सम्भव है । आज इस देश में ऐसी अनोखी सोच मौजूद है जो देश का काया कल्प करने की अदभुत ताक़त रखतीं हैं आइये सकारात्मकता का बिरवा उनके घर रोप आएं जो क्षणिक लोकप्रियता वश दीर्घ कालिक लाभ से कौमों को वंचित करतें हैं ॥

_____________________________________________________________________________________

तब तक आप इसे सुनिए : जो

_____________________________________________________________________________________




23 मार्च 2009

चार लाईना..!!

http://www.blackwellpublishing.com/products/journals/aag/AAG_October06/figs/aag_47504_f3.gif
कैसे कैसे लोगों में मुगालते पले
भाव अपने राह में उछालते चले
एक नुक़रई हंसी पे सैकडों सवाल
सच सुना यक-ब-यक पुआल से जले ।
{फोटो : गूगल बाबा के खजाने से साभार यहाँ से }

18 मार्च 2009

सच तुम्हारी वज़ह से ही


तुम जो कल तक
आंकते थे कम
आज भी आंको
उतने ही नंबर दो मुझे जितने देते आए हो
मित्र ..?
मत मेरे यश को सराहो
मुझे याद है तुम्हारे
पीठ पीछे कहे विद्रूप स्वरों के शूल
जो चुभे थे
जी हाँ वे शूल जो विष बुझे थे
मित्र
अब सुबह हो चुकी है
तुम्हारी वज़ह से
सच तुम्हारी वज़ह से ही
मैंने बदला था पथ
जहां था ईश्वर
बांह पसारे मुझे सहारा दे रहा था
उसे ने ये ऊंचाई दी है मुझे
काश तुम होते मुझे
कम आंकने वाले
तो आज मैं यहाँ होता !!

16 मार्च 2009

विकलागों की सेवा का संकल्प करना और उसे आकार देना अनुकरणीय : ईश्वर दास रोहाणी



*समारोह स्थल का वातावरण आध्यात्मिक उर्जा से परिपूर्ण रहा

*पहले ही दिन लभग 25 हज़ार रूपए की राशि संगृहीत

विकलागों की सेवा का संकल्प लेकर उसे पूरा करना उसे आकार देना अनुकरणीय है.मुझे बेहद प्रसन्नता है की सव्यसाची कला ग्रुप जबलपुर द्वारा जिस भक्ति एलबम "बावरे-फ़कीरा" का लोकार्पण किया जा रहा है सराहनीय कार्य है "-तदाशय के विचार दिनांक 14 मार्च 2009 को सायं:07:30 बजे स्थानीय मानस भवन में आयोजितभक्ति एलबम "बावरे-फ़कीरा" का लोकार्पण समारोह अवसर पर ईश्वर दास रोहाणी ने व्यक्त किये . कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री मुकेश गर्ग महानिदेशक संगीत संकल्प ने कार्यक्रम के उद्द्येश्य की सफलता के लिए समुदाय से अनुरोध किया जबकि अस्थि रोग विशेषज्ञ डाक्टर जितेन्द्र जामदार के बावरे-फकीरा एलबम टीम के सदस्यों आभास जोशी,गिरीश बिल्लोरे,श्रेयस जोशी,सहित सभी सदस्यों के कृतित्व पर प्रकाश डाला. डाक्टर जामदार का कथन था कि "गिरीश और ज़ाकिर हुसैन वो लोग हैं जो बैसाखियों से नहीं बैसाखियाँ उनसे चलतीं है.

बेहद अध्यात्मिक-उर्जा से परिपूर्ण वातावरण में एलबम का विमोचन कराने साईं बाबा बने एक बच्चे ने मशहूर पोलियो ग्रस्त गायक जाकिर हुसैन एवं आभास जोशी को मंच पर लाया गया . अतिथियों के अलावा बावरे फकीरा टीम के सदस्यों तथा श्रीमती पुष्पा जोशी श्री काशीनाथ बिल्लोरे की उपस्थिति में एलबम का विमोचन किया गया .

इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों श्री चारु शुक्ला {मंडला},विदिशा नाथ .मृदुल.श्रृद्धा बिल्लोरे.अक्षिता ,आकाश जैन ,दिलीप कोरी ,राशि तिवारी.शेषाद्री अय्यर के अलावा आभास जोशी एवं वाइस आफ इंडिया द्वितीय के गायक श्री ज़ाकिर हुसैन तथा संदीपा पारे द्वारा मनोरंजक गीत-संगीत निशा स्वर बिखेरे . आयोजकों के अनुसार एलबम के विक्रय से संगृहीत राशि संस्था द्वारा व्यय किया जावेगा.वर्तमान में इस हेतु लाइफ लाइन एक्सप्रेस को सहयोग हेतु एलबम के प्रथम संस्करण से प्राप्त लाभांश राशि जिला प्रशासन जबलपुर को सौंपी जावेगी.

आयोजन में उन व्यक्तियों को भी सम्मानित किया गया जिन्हौने वाइस आफ इंडिया प्रथम के दौरान आभास-जोशी-स्नेह मंच जबलपुर के आव्हान पर आभास जोशी के समर्थन में वातावरण निर्माण हेतु सहयोग किया. ,श्री रोहित तिवारी "हीरा",प्रहलाद पटेल मित्र गरीब मदद संस्था संस्थापक अध्यक्ष ,गनपत पटेल,प्रमोद देशमुख,अशोक जैन सुप्रभात क्लब जबलपुर,,श्री रमेश बडकुल ,यशो,श्री पंकज भोज,दीपांशु दुबे,अनुराग वरदे,आभास जोशी स्नेह मंच ,जबलपुर डाक्टर संध्या जैन श्रुति ,डाक्टर प्रशांत कौरव,जितेन्द्र चौबे,आभास जोशी स्नेह मंच ,भोपाल,के संजय चौरे,आभास जोशी स्नेह मंच , खंडवा योगेन्द्र जोशी,श्री गोविन्द दुबे,आभास के ज्योतिषी माधव यादव मनीष शर्मा,महावीर महिला मंडल महावीर कालोनी गुप्तेश्वर श्रीमती वन्दना जोशी,लता श्रीवास्तव,प्रवीणा टाक,सिमरन सूरी,कॅनॅडा से आए ब्लॉगर श्री समीर लाल,महिला परिषद् शिवनगर श्रीमती नीलम जैन ,श्रीमती आरती जैन, मंजू जैन,समीर विश्वकर्मा,योगेश गोस्वामी नितिन अग्रवाल, को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया.

10 मार्च 2009

बावरे-फकीरा प्रेस मीटिंग


(पोलियो-ग्रस्त बच्चों की मदद हेतु साईं भक्ति एलबम )

स्वर:आभास जोशी श्रीमती संदीपा पारे * संगीत:श्रेयस जोशी * रिदम प्रोग्रामर:लोकेश मालवीय

*गीत एवं परिकल्पना :गिरीश बिल्लोरे मुकुल * रिकार्डिस्ट : आशीष सक्सेना स्वर-दर्पण

कोरस : सुलभा एवं श्रद्धा बिल्लोरे,आदित्य सूद,किरण जोशी,निष्ठा,अनुभव,स्वाति सराफ,योगेश चान्द्रायण मुकुंद राव नायडू,मिली एवं श्री प्रकाश दीवान,

संपर्क:-सव्यसाची कला ग्रुप 969/A गेट नंबर 04 जबलपुर (M.P.)फ़ोन 09926471072

Email: girishbillore@gmail.com,swysachi@hotmail.com, girishbillore@hotmail.com

,


मैंने कहा

बावरे-फकीरा (शिर्डी साईं नाथ को समर्पित भाव गीत) एलबम का निर्माण माँ प्रमिला देवी की प्रेरणा से किया गया था, जिन्हौने कहा था की कला-साहित्य-संगीत के ज़रिए लोक कल्याण ही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए. अत: मित्रों ने मिलकर बावरे-फकीरा एलबम की परियोजना शुरू की सव्यसाची माँ प्रमिला देवी के अवसान के बाद प्रारंभ इस प्रोजेक्ट को पूर्णता के लिए जितेन्द्र जोशी एलबम के गायक आभास जोशी,संदीपा पारे ,संगीत निर्देशक श्रेयस जोशी ,रिदम-प्रोग्रामर लोकेश मालवीय ,श्री काशीनाथ जी , श्री हरीश सतीश बिल्लोरे एवं श्रीमती आभा, श्री रविन्द्र जोशी, मित्र भाई जितेन्द्र चौबे ,राजेश पाठक "प्रवीण" संध्या जैन "श्रुति",मनीष शर्मा,सलिल समाधिया योगेश गोस्वामी,नितिन अग्रवाल , श्रीमती सुलभा बिल्लोरे, का विशेष योगदान रहा है.

आभास एवं श्रेयस दौनों भाई ही अदभुत प्रतिभा के धनी हैं उनके लिए मेरी स्वर्गीय माँ सव्यसाची प्रमिला देवी बिल्लोरे का अपरिमित स्नेह था जिसे अनंत और अक्षुण बनाने सव्यसाची कला ग्रुप का गठन किया गया. सव्यसाची कला ग्रुप द्वारा बावरे-फकीरा एलबम को लोकार्पित करते हुए हम हर्षित हैं .

दिनांक 14 मार्च 2009 को स्थानीय मानस भवन जबलपुर में आयोजित पोलियो-ग्रस्त बच्चों की मदद हेतु साईं भक्ति एलबम बावरे-फकीरा का लोकार्पण समारोह आयोजित है. इस कार्यक्रम में आभास जोशी के अलावा पोलियो-ग्रस्त गायक श्री ज़ाकिर हुसैन (वी ओ आई 02 फेम ) सम्मिलित होंगे . साथ ही नेत्रहीन अंधमूक बधिर विद्यालय के विद्याथियों विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है. महोदय आयोजन के दौरान एलबम के विक्रय से संगृहीत लाभांश धनराशि जिला प्रशासन को सौंपा जाना है.

पोलियो ग्रस्त बच्चों की मदद हेतु देश वासियों से आग्रह है की वे इस एलबम को अवश्य प्राप्त करें .

यद्यपि यह आयोजन नि:शुल्क है किन्तु व्यवस्था एवं सुविधा को देखते हुए आमंत्रणपत्र के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा आमंत्रण पत्र संस्था कार्यालय में दिनांक 12 मार्च 2009 को प्रात: 09:00 बजे से 12:00 बजे तक उपलब्ध रहेंगे .

समीर लाल उवाच :- ब्लॉगर उड़नतश्तरी प्रेस मीटिंग में विशेष रूप से उपस्थित थे ने मीडिया को बताया कि :-"इस एलबम का देश विदेश में इंतज़ार है मैंने स्वयं कनाडा में इसके प्रोमो को सुन कर अंदाज़ लगा लिया था कि वास्तव में अनोखा बन पडा है "बावरे फकीरा एलबम''...........मैं स्वयं जबलपुर में जिन कारणों से रूका हुआ हूँ उसमें "बावरे-फकीरा" की लांचिंग भी एक कारण है. जबलपुर से कनाडा जाते वक़्त मुझे कई देशों की यात्रा करनी है जहाँ इस एलबम का इंतज़ार किया जा रहा है कोशिश होगी उनको भी साई बाबा के भक्तिगीतों का रसास्वादन कराया जावे
रिकार्डिस्ट आशीषसक्सेना उवाच:- "उस वक्त आभास की उम्र १६ वर्ष की थी संगीत कार श्रेयस भी वयस्कहोने को थे ...... आप सोचिये यह उम्र संगीत के किसी बड़े प्रोजेक्ट के लिए कितनी अनुकूल मानी जा सकती है आप ही सोचिये कि जिस संगीत को आत्मसात करने उम्र का बड़ा भाग खर्च करना हो उसे कम उम्र में पूरा कर देना माँ सरस्वती एवं भगवान बाबा की मेहर ही कहा जायेगा "
एलबम की विशेषताओं को रेखित करते हुए आशीष बोले:-"चालीस से साठ ट्रेकों पर तैयार एलबम के संगीत में माधुर्य का अभाव नहीं है ।" आज हल्ला बोल संगीत के दौर में शान्ति सुकून देने वाला एलबम निश्चित सभी का अपना एलबम होगा .... क्योंकि इस एलबम पर काम करते वक्त हमें तो थकन थी निराशा बस लग रहा था कि
हम किसी पूजा / अनुष्ठान को कर रहें हैं
सतीश बिल्लोरे : मेरे अग्रज सतीश बिल्लोरे ने परोपकारी संकल्प को आकार देने के लिए मीडिया का आव्हान किया